कोरोना के चलते अब ईमेल और व्हाट्सऐप जैसे टैली मैसेंजर से भी भेजे जा सकेंगे अदालती नोटिस और समन – सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : अब व्हाट्सऐप और अन्य टेली मैसेजेंर सेवाओं के जरिए अदालती नोटिस और समन भेजे जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस संक्रमण के चलते शुक्रवार को व्हाट्सऐप जैसी टेली-मैसेंजर सेवाओं के साथ-साथ ईमेल और फैक्स के माध्यम से समन और नोटिस की सेवा की अनुमति दे दी. 

सुप्रीम कोर्ट : नोटिस और समन टेली मैसेंजरों के जरिए भेजने की इजाजत दी.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पीठ ने कहा कि यह हमारे ध्यान में लाया गया है कि नोटिस, समन आदि की सेवाओं के लिए डाकघरों का दौरा करना संभव नहीं है, इसलिए उपरोक्त सभी प्रकार की सर्विस ई मेल, फैक्स और अन्य त्वरित संदेशवाहक सेवाओं जैसे व्हाट्सऐप और अन्य टेली मैसेंजरों के माध्यम से की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से एजी केके वेणुगोपाल की इस दलील को नहीं माना कि व्हाट्सऐप को शामिल ना किया जाए. 

गौरतलब है कि 19 जून को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समय सीमा को बढ़ाने और सरकार के लॉकडाउन प्रतिबंधों के उसके आदेश से आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) के तहत दोषी को डिफाल्ट जमानत लेने का अधिकार प्रभावित नहीं होगा.

आठ जून को कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल की एक अर्जी पर निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत ईमेल और व्हाट्सऐप के माध्यम से “चेक के अनादर” मामलों में डिमांड नोटिस की सेवा पर जवाब मांगा था. 

COVID-19 महामारी के दौरान देश भर के न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में शारीरिक रूप से आवेदन दाखिल करने को कम करने के उद्देश्य से 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक सामान्य आदेश पारित किया था. इसमें 15 मार्च से प्रभावी कर अगले आदेश तक समय सीमा को बढ़ा दिया था चाहे वह क्षम्य हो या नहीं.

बता दें देश में कोरोना के मामलों में तेजी के बीच टेस्टिंग की रफ्तार भी बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. 9 जुलाई यानी गुरुवार को 2,83,659 नमूनों का परीक्षण किया गया, जो कि एक दिन में टेस्टिंग का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. 9 जुलाई तक कुल 1,10,24,491 सैंपलों की जांच की जा चुकी है. पॉज़िटिविटी रेट 9.34 प्रतिशत पर पहुंच गया है. 

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