प्रदेश के बस संचालक हुये परेशान, करनी पड़ सकती है बस सेवाएं बन्द

Chhattisgarh Digest News Desk :

वहीं डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों के चलते बस का संचालन करना घाटे का सौदा प्रतीत हो रहा है। यात्रियों के नहीं मिलने से लगातार बसें खड़ी हो रही हैं। बस संचालकों को प्रतिदिन सीमित बस चलाने के बावजूद 3000 रुपए का कम से कम घाटा हो रहा है।

भाटापारा. कोरोना संक्रमण के बाद लंबे अरसे से उठ रही मांग के बाद यात्री सुविधाओं केे लिए चालू हुई सड़क परिवहन सेवा से बस संचालकों ने काफी राहत महसूस की थी। लेकिन लगातार हो रहे नुकसान को देखते हुए अब वे चिंता में पड़ गए हैं। उनकी चिंता यही है कि एक तो यात्रियों का टोटा पड़ गया है। वहीं डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों के चलते बस का संचालन करना घाटे का सौदा प्रतीत हो रहा है। यात्रियों के नहीं मिलने से लगातार बसें खड़ी हो रही हैं। बस संचालकों को प्रतिदिन सीमित बस चलाने के बावजूद 3000 रुपए का कम से कम घाटा हो रहा है।
भाटापारा से बलौदा बाजार के लिए हिरमी के लिए खरोरा के लिए कसडोल के लिए बेमेतरा के लिए करही बाजार के लिए मुंगेली के लिए और बिलासपुर के लिए बसें चलती रही हैं, किंतु सवारी के अभाव में इन बसों का चलना अब मुश्किल हो गया है। जैसे तैसे बड़ी मुश्किल से 8 से 10 सवारी ही एक बस को मिल पा रही है, इसके चलते यात्री रूट पर बस चलाना मुश्किल होता जा रहा है। लोग भी कोरोना के चलते बस सेवा का लाभ न लेकर वे अपनी निजी साधनों से या फिर मैजिक जैसी गाडिय़ों से आना-जाना कर रहे हैं।

इन शहरों के लिए शुरू हुई थी बस सेवा
शहर में अंतर जिला सड़क परिवहन का जिम्मा संभाल रही राधेश्याम बस सर्विस और सुरेश ट्रेवल्स के अतिरिक्त अन्य बस कंपनियों की बसें 7 शहरों के लिए चलती है। अंतर जिला यात्री परिवहन सेवा में इन दोनों कंपनियों की सेवाएं मिलती रही है। इन दोनों कंपनियों की बसें नवागढ़, बेमेतरा, सिमगा, मुंगेली, बिलासपुर पांडा तराई और बलौदाबाजार खरोरा कसडोल करही बाजार के लिए चलती है। लेकिन यहां के लिए भी सवारियों की तंगी बनी हुई है।

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रोज उठा रहे घाटा
वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण के चलते गिनती की बसें ही चल रही है लेकिन इसके बावजूद इन बसों को पर्याप्त सवारिया नहीं मिल पा रही है जिसकी वजह से बस संचालकों की आर्थिक हालत और ज्यादा खराब हो रही है और उन्हें प्रतिदिन घाटे में बस चलानी पड़ रही है संभव है कि किसी भी दिन बस संचालक बस चलाना बंद कर सकते हैं। कई बार तो ऐसा भी होता है कि बस स्टैंड पर खड़ी रहती है पर एक भी सवारी बसों को आगे जाने के लिए नहीं मिलती है जिसके कारण बस वापस गैरेज में आकर खड़ी हो जाती हैं। डीजल पर 15 सौ रुपए खर्च करने के बाद 275 का ही यात्री किराया हासिल हुआ। प्रतिदिन ढाई से तीन हजार रुपए बसे घाटा दे रही है।

नहीं बढ़ाया यात्री किराया
समझौते का पालन करते हुए सड़क परिवहन सेवा चालू तो हो चुकी है लेकिन किराया नहीं बढ़ाने की शर्त से सफल संचालन में दिक्कत आ रही है। क्योंकि जब तक यात्री किराया नहीं बढ़ाया जाता तब तक घाटे की भरपाई कर पाना मुश्किल होगा। क्योंकि क्षमता के अनुपात मैं बसों को यात्री नहीं मिल रहे। सरकार को इस दिशा में भी विचार करना होगा। भले ही अस्थाई तौर पर किराया बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

बैक टू गैरेज
शहर से दूसरे शहरों के लिए निकलने वाली यात्री बसें निर्धारित समय पर बस स्टैंड के लिए निकली और टिकट काउंटर खुला। रवानगी के लिए नियत समय तक यात्री नहीं मिले तो इन बसों को वापस गैरेज लौटना पड़ा। जिला मुख्यालय के लिए निकली दो बसों में से एक ही रवाना हो पाई जबकि दूसरे को यात्री नहीं मिले। सिमगा, बेमेतरा, मुंगेली, बिलासपुर, और करही बाजार के लिए निकली बसों की भी स्थिति ऐसी ही रही। इसलिए इन्हें वापस गैरेज के लिए लौटना पड़ा। इसके बावजूद संकेत मिल रहे हैं कि बसों को लगाने का क्रम इसी तरह आगे के दिनों में भी जारी रहेगा।

डीजल का भाव आसमान छू रहा है
डीजल के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि हुई बस संचालकों के लिए सिरदर्द बन गई है वर्तमान में डीजल का भाव 79 रुपए 19 पैसे प्रति लीटर हो गया है। जिससे बस संचालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

भय की वजह भी कोरोना
बस में यात्रा करने वाले यात्री रामकुमार ने बताया कि उसके पास कोई साधन नहीं है इसके कारण ही वह बस में यात्रा कर रहा है। वरना कोरोना वायरस का भय उसे भी सताते रहता है। उसने कहा कि यही कारण है कि पहले के जैसे बसों को यात्री नहीं मिल पा रहे हैं। एक अन्य यात्री शिव दास ने कहा की कोरोना वायरस संक्रमण के चलते ही बसों को पर्याप्त यात्री नहीं मिल रहे।

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