महिला संगठनों ने छेड़ी चीन के खिलाफ जंग, बांस और सब्जियों के बीज से बनी राखियो के जरिये चाइना राखियों का करेंगी बहिष्कार

रायपुर की महिला संगठनों ने चीन के खिलाफ जंग छेड़ दी है। महिला समूहों द्वारा रक्षाबंधन में चीन की फैंसी राखियों के बहिष्कार के लिए विकल्प तैयार किया जा रहा है। इस बार रक्षाबंधन में बहनों के लिए सब्जियों के बीज से हर्बल राखियां बनाई जा रही है।

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की महिला संगठनों ने चीन के खिलाफ जंग छेड़ दी है। महिला समूहों द्वारा रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) में चीन की फैंसी राखियों के बहिष्कार के लिए विकल्प तैयार किया जा रहा है। इस बार रक्षाबंधन में बहनों के लिए सब्जियों के बीज से हर्बल राखियां बनाई जा रही है।
यह अनोखा प्रयोग रायपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर से सेरीखेड़ी स्थित कल्पतरू मल्टी यूटिलिटी सेंटर में उजाला ग्राम संगठन की महिलाओं ने शुरू किया है। यहां की महिलाओं द्वारा बांस और सब्जियों के बीज से राखी बना रही है। यह राखियां देखने में बेहद आकर्षक हैं। इससे पहले इन्हीं महिलाओं ने होली के लिए फूलों के रंगों से गुलाल बनाया था, जिसकी जमकर बिक्री भी हुई थी। इतना ही नहीं दिवाली में गोबर से बने दीयों ने मुख्यमंत्री तक का मन मोह लिया था।

सैनिटाइजर और मास्क वाला गिफ्ट पैक तैयार :
महिला समूहों के द्वारा राखी के साथ एक गिफ्ट पैक किया जा रहा है, जिसमें बहनें अपने भाइयों को सैनीटाइजर, मास्क, साबुन और हर्बल चाय देंगी। इसे बाजार में 100 रुपए में बेचा जाएगा, जिससे कोरोना संक्रमण से भाइयों की रक्षा हो पाए। इसी तरह का गिफ्ट बहनों के लिए भी बनाया जा रहा है, जिसकी कीमत 300 रुपए तय की गई है। महिलाएं रोज गिफ्ट के 50 से ज्यादा डिब्बे तैयार कर रहे हैं।

हर साल 10 करोड़ का कारोबार :
उल्लेखनीय है कि भारतीय त्योहारों में चीन भरपूर कमाई करता है। चीन हर साल 10 करोड़ से ज्यादा का कारोबार रक्षाबंधन में करता है। इस बार विवाद के कारण महिला समूहों ने आम लोगों को एक नया विकल्प दिया है।

इसलिए किया प्रयोग :
यहां काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि राखियों को 2 से 3 दिन बाद निकालकर कचरे में फेंक दिया जाता है। इसलिए यदि फल और सब्जियों के बीच से मनाई जाती है, तो फेंकने से पौधे उगकर लोगों को फल और सब्जियां देंगे।

रायपुर के जिला पंचायत सीईओ डॉ गौरव सिंह ने कहा, सेरीखेड़ी स्थित कल्पतरु मल्टी यूटिलिटी सेंटर में उजाला ग्राम संगठन की महिलाओं ने अनोखा प्रयोग किया है। इसकी डिमांड भी बाजार से आ रही है।

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