रायपुर : खाद्यान्न सुरक्षा के साथ लाॅकडाउन में श्रमिकों को मिलेगी कई समस्याओं से राहत, राज्य में 31.50 लाख सक्रिय परिवारों के 62.52 लाख व्यक्तियों की आजीविका मनरेगा पर निर्भर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण और पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्यरत श्रमिकों को मजदूरी भुगतान के रूप में खाद्यान्न प्रदान करने की स्वीकृति देने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने अपने पत्र में लिखा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजनांतर्गत मजदूरी राशि का भुगतान नेशनल इलेक्ट्राॅनिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम (एनईएफएमएस) के माध्यम से सीधे श्रमिकों के खातों में क्रेडिट होता है। कोरोना वायरस संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए पूरा राज्य लाॅकडाउन है। राज्य में 31 लाख 50 हजार सक्रिय परिवारों के 62 लाख 52 हजार व्यक्तियों की आजीविका मनरेगा पर ही निर्भर है। ऐसी स्थिति में प्रभावी लाॅकडाउन एवं संक्रमण से बचाव के समस्त साधनों का प्रयोग करते हुए योजना का क्रियान्वयन अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य शासन द्वारा कोरोना वायरस से बचावों के उपायों सहित मनरेगा योजनांतर्गत कार्य सम्पादित कराये जा रहे हैं तथा वर्तमान में लगभग 5 लाख श्रमिक प्रति दिन नियोजित हो रहे हैं। मजदूरी की राशि क्रेडिट होने के बाद उन्हें अपने भोजन (खाद्यान्न) जैसी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पहले खातों से पैसा निकालने की आवश्यकता होगी, जिससे वे परेशान तो होंगे ही साथ ही सोशल डिस्टैसिंग के पालन में भी कठिनाई होगी। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में बैंक शाखाओं की कमी है, साथ ही नक्सल प्रभावित एवं आकांक्षी जिलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी समस्या है। इस कारण प्रायः लिंक फेल होने जैसी समस्याएं होती हैं, जिसके कारण राशि आहरण हेतु मजदूरों को कई बार बैंक में सम्पर्क करना पड़ जाता है।
मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि राज्य शासन के पास पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध है तथा इसके वितरण की प्रभावी व्यवस्था लागू है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत कार्यरत श्रमिकों की मजदूरी की राशि राज्य शासन को उपलब्ध कराते हुए इसके विरूद्ध उन्हें खाद्यान्न वितरित करने की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया है, ताकि वर्तमान में उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों में भी ग्रामीणों के लिए खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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