नई दिल्ली : अभिनेता-राजनेता कमल हसन (Kamal Hasan) ने लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 जवानों की जान जाने को लेकर पीएम मोदी पर हमला बोला. कमल हसन ने पीएम मोदी (PM Modi) को आगाह किया कि वह लोगों के साथ ‘भावनात्मक रूप से खिलवाड़’ करना बंद करें. मालूम हो कि चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में दर्जनों भारतीय सैनिक घायल भी हुए हैं. कमल हसन ने सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर सवाल उठाने वालों की आलोचना के लिए केंद्र की खिंचाई की है. बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘लद्दाख में भारत की सीमा में न तो कोई घुसा हुआ है और न ही हमारी कोई चौकी किसी दूसरे के कब्जे में है.

मक्कल निधि मैयम प्रमुख ने कहा, ‘इस तरह के बयान देकर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. मैं प्रधानमंत्री मोदी और उनके समर्थकों से अनुरोध करता हूं कि वे ऐसा करना बंद करें.’ कमल हसन ने कहा कि ‘सवाल पूछना राष्ट्र-विरोधी नहीं है. हम तब तक सवाल पूछना जारी रखेंगे, जब तक कि सच्चाई नहीं बताई जाती है.’ क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी का बयान सेना और विदेश मंत्रालय के स्टेटमेंट से विरोधाभासी है.
शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक के बाद विपक्ष ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट नहीं की है, जिसके कारण भारतीय सैनिकों पर क्रूर हमला हुआ. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोर्चा संभालते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री ने चीनी आक्रामकता के आगे भारतीय क्षेत्र को चीन को सौंप दिया है.’ कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि अगर यह भूमि चीन की थी तो हमारे सैनिकों की जान कैसे गई? उनकी जान कहां ली गई ?
कमल हसन ने कहा कि कुछ सूचनाओं को गोपनीय रखा जा सकता है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का कर्तव्य था कि इस संवेदनशील समय में सरकार को देश को बेहतर तरीके से सूचित करना चाहिए था.
कमल हसन ने यह भी सवाल किया कि पिछले सप्ताह की हिंसा का मतलब यह था कि प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पिछले साल अक्टूबर में हुई बैठक के बाद सरकार द्वारा दावा की गई राजनयिक सफलता खोखली थी.
‘उन्होंने कहा कि आठ महीने बाद चीन ने हमारे निहत्थे सैनिकों को मारकर हमारे पीठ में छुरा घोंपा. अगर यह सरकार की कूटनीति का नतीजा है, तो या तो उनकी रणनीति बुरी तरह विफल रही या वे चीन के इरादों को सही ढंग से भांपने में विफल रहे.’