Reported By :- किशोर कर सहयोगी पत्रकार
कोरोना के बढते मामलों के बीच आंगनबाड़ी खोलने का निर्देश अदूरदर्शितापूर्ण निर्णय- केशरीनन्दन सेन
महासमुंद – अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के सदस्य केशरीनन्दन सेन ने राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने के फैसले को वापस लेने की मांग की है और कहा है कि कोरोना महामारी के राज्य में बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर ऐसा करना बच्चों और गर्भवती माताओं की सेहत के साथ खिलवाड़ करना होगा।
आज यहां जारी एक बयान में राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित मानवाधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है । प्रदेश का कोई जिला और गांव इस महामारी के हमले से नहीं बचा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन लोगों का घरों में रहने को ही सबसे अच्छा बचाव और सुरक्षा मान रहा है। ऐसे समय में बच्चों और गर्भवती माताओं को घरों से बाहर निकालना स्वास्थ्य उपायों का सरासर उल्लंघन और उनके जीवन से खिलवाड़ है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता श्री सेन ने कहा है कि प्रदेश में अब यह महामारी सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में पहुंच गई है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने भी सितम्बर अंत तक एक लाख पॉजिटिव केस मिलने की संभावना व्यक्त की है और मुख्यमंत्री के अनुसार यह बीमारी पीक (ऊंचाई) की ओर बढ़ रही है। प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्र कोरोना बचाव के उपकरणों से इतने लैस नहीं है कि बीमारी की निशानदेही तक की जा सके। ऐसी स्थिति में बच्चों और माताओं को आंगनबाड़ी केंद्र बुलाना घातक होगा।
उन्होंने कहा कि जब स्कूल और कॉलेज तक बंद है, राज्य सरकार का आंगनबाड़ियों को खोलना समझ से परे है, जबकि पोषण आहार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं द्वारा पहले से ही घर-घर पहुंचाया जा रहा है। इस व्यवस्था को ही महामारी के खत्म होने तक जारी रखने की मांग श्री सेन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और संबंधित विभाग के अधिकारियों से की है। अन्यथा की स्थिति में छोटे बच्चों की सेहत पर कोरोना जैसे घातक महामारी का प्रकोप होने का खतरा मंडराता रहेगा ।