छत्तीसगढ़ डाइजेस्ट न्यूज़ डेस्क….. Reported by : दिनेश चंद्र कुमार, Edited by : नाहिदा कुरैशी, फरहान युनूस…
रायपुर. कोरोना संक्रमण से बचाव के मामले में जिले की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। प्रदेश के सर्वाधिक संक्रमित मरीजों वाले जिलों में रायपुर पहले नंबर पर है। कोरोना संक्रमण का गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा है। गर्भवती महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग के इलाज की जिम्मेदारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने लिया है। एम्स में कोरोना पॉजिटिव गर्भवती की सुरक्षित डिलीवरी भी कराई जा रही है।
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एम्स के डॉक्टरों ने अब तक चार गर्भवती की डिलीवरी (2 नॉर्मल और 2 सिजेरियन) कराई है और राहत की बात यह रही है कि कोई नवजात संक्रमित नही हुआ है। मुंगेली की एक 23 वर्षीय महिला को एम्स के आयुष बिल्डिंग में बने कोविड वार्ड में प्रसव पीड़ा होने के बाद 1 जून को नार्मल डिलीवरी कराई गई थी। ऐसे ही बलौदाबाजार और दो अन्य जिलों की महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया गया है।
गायनिक की विभागाध्यक्ष प्रो.सरिता अग्रवाल का कहना है कि आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार गर्भवती का इलाज और डिलीवरी कराई जाती है डिलीवरी के बाद नवजात को मां से अलग रखा जाता है।
इस दौरान नवजात को मां का एक्सट्रेक्टिड मिल्क दिया जाता है। यदि मां के साथ बच्चा होता भी है तो दोनों के बीच में डिस्टेंस रखा जाता है। नवजातभूख लगने पर ही महिला उसके पास जाती है। यदि नवजात को मां अपना ब्रेस्ट फीडिंग कराना चाहती है तो पहले उसे मास्क लगाने तथा हाथों को सेनिटाइज करने के लिए कहा जाता है। नवजात को भी पूरी तरह से (चेहरे को छोड़कर) डंका जाता है।
डॉ. नितिन एम नागरकर, एम्स निदेशक, ने बताया कि एम्स में आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाता है। सुरक्षित प्रसव कराने और नवजात की देखभाल के लिए गायनिक, पीडियाट्रिक और अन्य डिपार्टमेंट के चिकित्सक 24 घंटे तैनात रहते हैं।एम्स के डॉक्टरों ने अब तक चार गर्भवती की डिलीवरी (2 नॉर्मल और 2 सिजेरियन) कराई है और राहत की बात यह रही है कि कोई नवजात संक्रमित नही हुआ है।