उतई / उतई की बेटी प्रिया अग्रवाल जो नगर पंचायत उतई के पूर्व एल्डरमेन अशोक अग्रवाल की बेटी है, बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान को सार्थक करने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है खमरडीह स्थित बालिका गृह में तकरीबन 40 अनाथ बच्चियां रहती हैं, जो इन दिनों रक्षा बंधन आते ही अपने हांथों से सुंदर-सुंदर राखियां बना रही हैं.
इनको राखी बनाना एजुकेटर प्रिया अग्रवाल सिखा कर उनसे राखी बनवा रही है एवं बनने मे सहयोग कर रही है, ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए बच्चियों के पास मोबाइल फोन नहीं है. इसलिए यहां की बच्चियां राखी बना रही है ताकि उसकी आदमनी से वह ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल खरीद सके.
राजधानी रायपुर के खम्हारडीह स्थित बालिका गृह में रहने वाली बच्चियां इन दिनों सुंदर-सुंदर राखियां बना रही हैं. इन लड़कियों का परिवार ये खुद हैं. माता-पिता, भाई और बहनों को खो चुकी ये बेटियां अपनी पढ़ाई के लिए ये राखियां बना रही हैं, जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो सके. इन राखी के रंगों में वे अपने भविष्य के सुनहरे रंग देख रही हैं. ऑनलाइन एजुकेशन के लिए फोन खरीद सकें इसलिए ये बच्चियां लगातार राखी बना रही हैं.महिला बाल विकास विभाग केन्द्र सरकार की योजना बेटी पढाओ बेटी बचाओ को पूरी तरह से चरितार्थ कर रही है।
राखी बनाकर ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पैसे जुटाती बेसहारा बच्चियां
लड़कियां ये राखियां बनाकर महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंप देंगी. विभाग ये राखियां बेचेगा और जो राशि आएगी, उसे बच्चियों की पढ़ाई में लगाया जाएगा. इस बालिका गृह में 40 बच्चियां रहती हैं. अपनी शिक्षा के पैसों के लिए मेहनत करने वाली इन बेटियों का कहना है कि जब ये राखियां बिकेंगी और भाइयों की कलाइयों पर चमकेंगी, तभी इनकी किस्मत भी चमकेगी.
बच्चियों के लिए खरीदे जाएंगे स्मार्ट फोन
महिला एंव बाल विकास के मुताबिक राखियों को बेचकर जो रकम इकट्ठा की जाएगी, उससे बच्चियों के लिए मोबाइल फोन खरीदा जाएगा. इससे बच्चियों को ऑनलाइन एजुकेशन में मदद मिलेगी. सभी बच्चियां लगातार एक हफ्ते से राखियां बना रही हैं. इन राखियों को महिला एवं बाल विकास विभाग प्रमोट भी कर रहा है.
बच्चियों को पढ़ाई में होगी मदद
कोरोना का यह दौर है ऐसे में लगभग सभी स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन की ओर बढ़ रहे हैं. बालिका गृह में रहने वाली सभी लड़कियों के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं. इस वजह से वे क्लासेस अटेंड नहीं कर पा रही हैं. उनकी परेशानी देखते हुए महिला एवं बाल विकास ने ये पहल की है, जिससे इन सभी को पढ़ाई में मदद मिल सके.
बच्चियों की बनाई राखियों को प्रमोट करेगा विभाग
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अशोक पांडेय ने बताया कि, ‘बच्चे परेशान हो रहे थे. हमने परेशानियों देखते बच्चियों से राखी बनवाने के लिए सोचा. वैसे बच्चियां हर साल राखी बनाती हैं, लेकिन इस बार हमने उनकी राखी को प्रमोट करने का फैसला लिया है. इससे जो पैसे आएंगे उनके लिए हम फोन खरीद कर देंगे. साथ ही उनके खुलवाए गए खातों में ट्रांसफर कर देंगे’.
ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मेहनत कर रही बच्चियां
वहीं बालिका गृह अधीक्षक रत्ना दुबे ने बताया कि यह खास पहल अपने बच्चों के लिए की है. लड़कियों को दिक्कत हो रही थी, इसको देखते हुए समस्या का हल निकाला गया. लड़कियां ज्यादा से ज्यादा राखियां बनाने की कोशिश कर रही हैं, जिससे उनको ऑनलाइन पढ़ने के लिए फोन मिल सके.इस योजना को देखने एवं बालिकाओ के उत्साहवर्धन के लिये जिलाधीश रायपुर सहित जिले के अनेक अधिकारी पहुंच रहे है एवं बालिकाओ के इस कार्य की तारीफ कर रहे है.
शासकीय बालिका गृह की एजुकेटर प्रिया अग्रवाल ने बताया की बच्चो द्वारा निर्मित राखी का मूल्य 5 रु से लेकर 300 रु तक की है, महिला बाल विकास विभाग द्वारा इन राखियो को प्रमोट कर बिक्रय का प्रबंध तो किया जा रहा है वंही बालिकाए शासकीय बालिकागृह खम्हारडीह रायपुर मे राखी की दुकान लगा कर आम लोगो को भी राखी का विक्रय कर रही है।