जबलपुर। लॉकडाउन में जब लोग परिवार के संग हैं, तब भी आत्महत्याओं का ग्राफ नहीं रुक रहा है। आलम ये कि लॉकडाउन के 48 दिनों में 48 लोगों ने आत्महत्याएं की। पुत्र वियोग में किसान की पत्नी और सैन्य दम्पती की आत्महत्या ने शहरवासियों को झकझोर दिया। आत्महत्या करने वालों में 27 पुरुष और 21 महिलाएं शामिल हैं। आत्महत्या करने वालों में 19 लोगों ने घरेलू कलह से और सात लोगों ने प्रताडऩा से तंग आकर जान दी।

न्यूज फैक्ट : –
फंदे से लटक कर – 35. घरेलू कलह – 27. प्रताडऩा – 09 जहर खाकर – 07
ट्रेन के सामने कूदकर – 02 . अग्रिदाह करके – 03. बीमारी से परेशान होकर – 07 .
एसिड पीकर – 01. तनाव में – 02. पुत्र वियोग में – 03.
23 मार्च को लॉर्डगंज के जयनगर में किराए से रहने वाली संगीता साहू ने ब्रेन हैमरेज से छोटे बेटे की मौत के बाद फंदे से झूल गई। ठीक एक महीने बाद 23 अप्रैल को जैक आरआरसी में सैन्य दम्पती ने भी बेटे की मौत के बाद फंदे से झूल कर आत्महत्या कर ली।
तनाव में : –
05 अप्रैल को रिटायर्ड आईजी और भोपाल में पदस्थ एडीएम मां की 27 वर्षीय एमपीईबी कर्मी दीपाली छारी ने फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली। मां-पिता में तलाक हो चुका है। लॉकडाउन में वह भी तनाव में आ गई थी।
प्रताडि़त होकर : –
22 मार्च को हाथीताल कॉलोनी पुराना पान बरेजा निवासी 27 वर्षीय प्रियंका ठाकुर फंदे से झूल गई। वह पति से अलग दोनों बच्चों के साथ मायके में रह रही थी। गंगानगर निवासी युवक द्वारा मारपीट व प्रताडि़त करने पर जान दी।
घरेलू कलह में : –
27 मार्च को पनागर थानांतर्गत निभौरा टोला निवासी 23 वर्षीय प्रदुम्न केवट (23) ने घरेलू कलह से परेशान होकर जहर खा लिया। उसकी लाश 28 मार्च की सुबह इमलई गांव के पास खेत में पेड़ के नीचे मिली।
मनोवैज्ञानिक ये बता रहे कारण : –
मनोवैज्ञानिक डॉ राजेश पांडे के मुताबिक व्यक्ति का व्यवहार उसके मन की स्वतंत्रता और परतंत्रता पर निर्भर होता है। लॉकडाउन में मन की स्वतंत्रता और स्वछंदता बाधित हो रही है। इससे लोग मानसिक तनाव में आ रहे हैं। रोजी-रोटी और घर परिवार चलाने की चिंता भी आत्महत्या की एक बड़ी वजह है।
आत्महत्या की समस्या के लिये यह प्रयास करने होंगे : –
-खुद में आत्मविश्वास पैदा करें।
-संगीत सुनें
-पुराने धर्मग्रंथ पढ़ें
-घर में खुशनुमा माहौल बनाकर
-कोरोना संक्रमित को परिवार से दूर करने के भय को दूर करना होगा
-इसके लिए वीडियो काफ्रेंसिंग, जूम काफ्रेंसिंग की सुविधा देकर
-सोशल डिस्टेंस जरूर रखें, लेकिन मेंटल और इमोशनल डिस्टेंस मत बनाएं।