कर्मचारी की एक गलती से बैंक को हुआ करोड़ो का नुकसान, जानिए पूरा मामला

Chhattisgarh Digest News Desk ; Edited by : Nahida Qureshi, Farhan Yunus.

बैंक कर्मचारी की गलती से डिफाल्टर हो चुकी Revlon कंपनी के कर्जदाताओं का रुपया खातों में पहुंचा

कर्जदाताओं ने एकाउंट में आए रुपए को लौटाने से किया इनकार, सिर्फ आधी रकम ही वापस आई

नई दिल्ली। दुनिया के बड़े बैंकों में शुमार सिटी बैंक में एक दिलचस्प मामला सामने आया है। वैसे ऐसा ही मिलता जुलता मामला पहले भी आया था, लेकिन वो व्यक्तिगत था, इस बार मामला सामूहिक खातों से जुड़ा है। वास्तव में बैंक के लोन डिपार्टमेंट में काम करने वाले कर्मचारी ने एक दिवालिया कंपनी के कर्जदाताओं के खातों में गलती से 90 करोड़ डॉलर यानी करीब 6700 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए हैं। अब वो कर्जदाता रुपया वापस लौटाने को तैयार नहीं है। जानकारों की मानें तो इस वाकये से भारत के खाताधारकों को कोई नुकसान नहीं होगा। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है।

आखिर किस दिवालिया कंपनी के कर्जदाताओं के पास पहुंचा रुपया
न्यूयॉर्क के सिटी बैंक में लोन डिपार्टमेंट की कर्मचारी की गलती की वजह से कॉस्मेटिक्स कंपनी रेवलॉन का करीब 90 करोड़ डॉलर का कर्ज कर्जदाताओं को चुका दिया। जब बैंक को इसका पता चला तो उन्होंने उन कर्जदाताओं से रुपया लौटाने को कहा, जिसे उन्होंने लौटाने से साफ इनकार कर दिया। खास बात तो ये है कि रेवलॉन कंपनी दिवालिया घोषित हो चुकी है। ऐसे में जिनके पास रुपए वापस आए हैं वो लौटाने को तैयार नहीं है।

बड़ी जद्दोजहद के बाद बैंक को रेवलॉन के कर्जदाताओं से सिर्फ 50 फीसदी ही रकम वापस मिल पाई है। रकम ना वापस करने वालों में ब्रिगेड कैपिटल मैनेजमेंट, एचपीएस इंवेस्‍टमेंट पार्टनर्स और सिम्‍फनी एसेट मैनेजमेंट जैसी कंपनियां शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर रेवलॉन की ओर सफाई जारी कर दी है कि उसने किसी भी कर्जदाता को कर्ज नहीं लौटाया है। सिटी ग्रुप की ओर से इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।

कर्जदाताओं की ओर से रेवलॉन पर किया था केस
रेवलॉन और कर्जदाताओं का रुपया लौटाने का मामला काफी खराब स्थिति में पहुंच चुका था। लेनदारों ने रेवलॉन कंपनी पर रुपया वापसी के लिए कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया था। रुपया तुरंत लौटाने की मांग की थी। लेनदारों को उम्मीद थी कि कोर्ट उनके हक में फैसला देगा। इस मुकदमे में रेवलॉन के कर्ज के एडमिनिस्‍ट्रेटिव एजेंट सिटी बैंक को भी डिफेंडेंट बनाया गया था। बैंक इस भूमिका से इस्तीफा देने की तैयारी कर रहा था, उससे पहले ही मामला सामने आ गया।

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