दिल्ली हाईकोर्ट से BCI ने कहा – ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन ऑनलाइन संभव नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट से बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने कहा – ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन का आयोजन ऑनलाइन संभव नहीं

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (एआईबीई) ऑनलाइन तरीके से आयोजित करना संभव नहीं है। बीसीआई ने कहा कि 8 नवम्बर को फ्लाइंग ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जस्टिस जयंत नाथ की बेंच में इस मामले पर अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और वकील पूरव मिधा ने कहा कि एआईबीई आयोजित करना उन युवा वकीलों के हितों पर विपरीत असर डाल सकता है, जिन्हें प्रोविजनल एनरॉलमेंट सर्टिफिकेट मिला हुआ है। प्रोविजनल एनरॉलमेंट सर्टिफिकेट दो साल के लिए ही मान्य होता है। तब बीसीआई की ओर से वकील प्रीत पाल सिंह ने कहा कि बीसीआई को याचिकाकर्ता की ओर से उठाई गई चिंताओं का ख्याल है। उन्होंने कहा कि बीसीआई की पिछले महीने हुई जनरल काउंसिल की बैठक में इस मसले पर चर्चा की गई थी और यह पाया गया था कि एआईबीई को ऑनलाइन आयोजित करना संभव नहीं है।

बीसीआई ने कहा कि देश के अधिकांश वकील पहली श्रेणी के मेट्रो शहरों में नहीं रहते हैं। उन्हें ऑनलाइन परीक्षा देने में इंटरनेट की स्पीड और कनेक्टिविटी की समस्या आएगी। प्रोविजनल एनरॉलमेंट सर्टिफिकेट की समयावधि समाप्त होने के मामले पर बीसीआई ने कहा कि 24 मार्च, 2020 से लेकर 31 मार्च, 2021 तक के प्रोविजनल एनरॉलमेंट को छूट देने का फैसला किया गया है।

पिछले 7 अगस्त को हाईकोर्ट ने बीसीआई को नोटिस जारी किया था। याचिका में कहा गया है कि आल इंडिया बार एग्जामिनेशन 16 अगस्त को आयोजित करने का फैसला किया गया था लेकिन बीसीआई ने पिछले 30 जुलाई को उस एग्जामिनेशन को निरस्त करने का फैसला किया लेकिन उसकी कोई डेट नहीं बताई। याचिका में कहा गया है कि बीसीआई ने पिछले 11 महीनों से कोई परीक्षा आयोजित नहीं की है। ऐसा कर बार काउंसिल ने संविधान की धारा 14, 16 और 19(1)(जी) का उल्लंघन किया है।

याचिका में कहा गया है कि बीसीआई को नए वकीलों के हितों की कोई चिंता नहीं है। याचिका में बार काउंसिल पर अस्थायी रुप से एनरॉलमेंट करानेवाले वकीलों के अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। बीसीआई ने नए वकीलों को वेलफेयर फंड का कोई लाभ भी नहीं दिया है। याचिका में बीसीआई को अस्थायी रूप से एनरॉलमेंट कराने वाले नए वकीलों को मदद करने का दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है। गौरतलब है कि लॉ की डिग्री मिलने के बाद कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस करने के लिए एआईबीई की परीक्षा पास करना जरूरी होता है।