फसल कटाई के बाद फसलों के ठूंठ किसान खेत में ही जला देते

फसल कटाई के बाद फसलों के ठूंठ किसान खेत में ही जला देते हैं, ताकि नई फसलों की बुवाई कर सकें। फसल अवशेष खेतों में जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है, मित्र कीट नष्ट होते हैं, सूक्ष्म जीव पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं, साथ ही ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को बल मिलता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस संबंध में कार्यवाही करते हुए फसल अवशेष को खेतों में जलाना प्रतिबंधित किया है। इसकी निगरानी भारत सरकार के द्वारा सेटेलाईट्स के माध्यम से की जायेगी। फसल अवशेष जलाना अब दण्डनीय अपराध होगा। छोटे किसान जिनके पास दो एकड़ के कम खेत है उन्हें 25 सौ रूपये, मध्यम किसान जिनके पास 2 से 5 एकड़ खेत है उन्हें 05 हजार रूपये एवं बड़े किसान जिनके पास 05 एकड़ से अधिक खेत है उन्हें 15 हजार रूपये हर्जाना स्वरूप फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के एवज में देना होगा।राज्य सरकार के निर्देशानुसार 26 जनवरी के विशेष ग्राम सभाओं में फसल अवशेष नहीं जलाने संबंधी प्रस्ताव पास कराये जाने हैं। इस संबंध में कृषि विभाग के द्वारा समस्त ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को 26 जनवरी को विशेष ग्राम सभा में उपस्थित होकर उपरोक्त प्रस्ताव पास कराने एवं फसल अवशेष जलाने के दुष्प्रभावों से कृषकों को अवगत कराने के निर्देश दिये गये हैं।फसल अवशेष जलाने के दुष्प्रभाव

  1. इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है तथा इसका दुष्प्रभाव मानव, पशु स्वास्थ्य एवं मृदा स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
  2. खेतों में फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में पाये जाने वाले पोषक तत्व विशेषतः नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश एवं सल्फर नष्ट हो जाते हैं एवं मिट्टी की उर्वरता कम होती है।
  3. फसल अवशेष जलाने से ग्रीन हाऊस प्रभाव पैदा करने वाली तथा अन्य हानिकारक गैसों जैसे-मीथेन, कार्बन मोनोआक्साईड, नाइट्रस आक्साईड तथा नाइट्रोजन के अन्य आक्साईड का उत्सर्जन होता है।
  4. बायोमॉस जलाने से उत्सर्जित होने वाले धुएं में फेफड़ों की बीमारी को बढ़ाने वाले तथा कैंसर उद्दीपक विभिन्न अज्ञात तथा संभावित प्रदूषक भी होते हैं।
  5. फसल अवशेष जलाने से मृदा की सर्वाधिक सक्रिय 15 सेंटीमीटर तक की परत में सभी प्रकार के लाभदायक सूक्ष्मजीवियों का नाश हो जाता है। मिट्टी में पाये जाने वाले केंचुए अन्य लाभकारी जीव एवं मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं।
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