अप्रैल से लागू हुए आयकर के नए नियम ने व्यापारियों की परेशानी बढ़ा दी है। इस नए नियम के तहत अब अगर व्यापारी बाजार से लोन लेते हैं तो उन्हें लोन देने वाले के बारे में भी पूरी जानकारी देनी होगी कि लोन देने वाले के पास स्रोत क्या है। बताया जा रहा है कि आयकर की धारा 68 में एक अप्रैल से बदलाव कर दिया गया है।
कर विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार आयकर के इस नए नियम में स्पष्ट निर्देश है कि अगर आप किसी से लोन लेते हैं तो उस व्यक्ति के स्रोत की जानकारी देनी होगी। पहले ऐसा होता था कि लोन की वास्तविकता बताने के लिए उसके आयकर के कागजात, बैलेंस शीट, बैंक स्टेटमेंट आदि दिया जाता था। इसे आयकर विभाग स्वीकार करता था, लेकिन अब नए नियम के अनुसार लोन देने वाले से उसका स्रोत भी पूछा जाएगा।
आयकर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष चेतन तारवानी ने बताया कि आयकर की धारा 68 में यह बदलाव एक अप्रैल से हो गया है। इस नियम के बाद अब बाजार से लोन लेने में परेशानी आएगी।
कर विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार धारा 68 में यह भी कहा गया है कि अगर जिससे लोन लिया गया है कि वह यह प्रमाणीकरण नहीं दे पाया कि उसने पैसे कहां से लाए हैं यानी स्रोत की जानकारी नहीं दे पाया तो उसे कैश क्रेडिट माना जाएगा। इसका कर निर्धारण धारा 115 बीबीई के अनुसार होगा अर्थात इसे आय मानकर इस पर 72.5 फीसद टैक्स, जुर्माना व सरचार्ज लगेगा।
बैंक से ऋण लेने पर लागू नहीं होगा
अगर बाजार के बजाय बैंक से लोन लिया गया है तो इस पर धारा 68 लागू नहीं होगी। व्यापारिक संघों का कहना है कि आयकर के इस नियम के कारण उन्हें काफी परेशानी भी होगी।