छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने किया मुख्यमंत्री भूपेश और शिक्षा मंत्री से आग्रह,ऑनलाइन क्लास के जरिये ही ले बाकी बच्चों की परीक्षा

पालक संघ ने किया मुख्यमंत्री भूपेश और शिक्षा मंत्री से आग्रह,ऑनलाइन क्लास के जरिये ही ले बाकी बच्चों की परीक्षा

पालक संघ ने ऑफ लाइन मोड परीक्षाओ के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले कम ज़रूर हुए हैं, लेकिन पूरी तरह ख़त्म नहीं हुए हैं और ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना पड़ रहा है जिससे पालको की समस्या बढ़ गयी है

बच्चे अब तक घर के सुरक्षित माहौल में थे लेकिन अब उन्हें अन्य बच्चों के बीच भेजना और उन्हें संक्रमण से बचाए रखना अभिभावकों के लिए बड़ी चुनौती है.
पालक संघ का मानना है कि पूरे साल स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई हुई है जिस से बच्चे सिलेब्स में उतने दक्ष नही हो पाए है ।
पालक संघ के अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल का कहना है कि – पढ़ाई जब ऑनलाइन करवाई गई है तो ऑफलाइन परीक्षा न्याय संगत और तर्क संगत नही है ।

सर्वविदित है कि सभी स्कूलों में पूरे वर्ष बच्चों को ऑनलाईन के माध्यम से
पढ़ाई कराया गया और अब सिर्फ वार्षिक परीक्षा से 15 दिन पूर्व आफलाईन पढ़ाई के लिए
स्कूल आरंभ किया गया है।
पालको की निरंतर यह मांग आ रही है कि बच्चे पूरे वर्ष ऑनलाईन के माध्यम से
पढ़ाई किए है इसलिए वार्षिक परीक्षा भी ऑनलाईन के माध्यम से संपन्न होना चाहिए
लेकिन स्कूल वाले शासन के आदेश की दुहाई दे रहे है।
पढ़ाई जब ऑनलाईन कराया गया है तो वार्षिक परीक्षा भी ऑनलाईन लिया जाना
चाहिए लेकिन स्कूलों के द्वारा स्थानीय परीक्षा भी ऑफलाईन के माध्यम से लिया जा रहा
है जो न्यायसंगत और तर्कसंगत नही है।
कोरोना महामारी का खतरा अभी टला नही है और बच्चों को वैक्सीन भी नही लगा
है, ऐसे में बच्चों के जीवन व भविष्य के साथ नित नये नये प्रयोग नही किया जाना उचित
नही है।
अतः माननीयों से निवेदन है कि स्थानीय परीक्षा ऑनलाईन के माध्यम से संपन्न
कराने हेतु तत्काल सभी स्कूलों को निर्देशित करने को हमारा अनुरोध स्वीकार करें

इंडिया वाइड पेरेंट एसोसिएशन की अध्यक्ष अनुभा सहाय ने बताया कि उनके पास महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि अन्य जगहों से माता-पिता की शिकायतें आ रही हैं कि स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास बंद कर दी है और वो ज़बरदस्ती बच्चों को स्कूल में आने के लिए कह रहे हैं, जबकि सरकार ने इसके लिए माता-पिता की सहमति को अनिवार्य कहा था ।.

स्कूल शुरू होने के आदेश के बाद अगली बड़ी जिम्मेदारी स्कूलों पर भी आ जाती है. उन्हें बच्चों को सुरक्षित माहौल प्रदान करना है और माता-पिता को भी भरोसा दिलाना है.

लेकिन, बच्चों की संख्या, उनका घुलना-मिलना, ट्रांसपोर्ट और साफ-सफाई ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना स्कूल पूर्ण रूप से तो करने में असमर्थ ही रहेगा।

सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक़ बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए माता-पिता की सहमति ज़रूरी थी तो आज प्रशासन पालको के अनुरोध का सम्मान करने के लिए इतना सोच विचार क्यो कर रहा है।
पहली से पांचवी तक और छठवीं से आठवीं तक नौवी और ग्यारहवीं की परीक्षा के लिए सरकार को तत्काल सभी स्कूलों को आदेश करने पालको ने आग्रह किया है, विकल्प है कि वो अपने बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं इस पर भी सरकार को सभी स्कूलों में आदेश जारी करने होंगे, इस साल के सत्र को बच्चों की मनोदशा समझते हुए ऑनलाइन परीक्षा आयोजन की ही अनुमति प्रदान करना चाहिए था , इस साल के बाद नये सत्र से नई क्लास नए विश्वास के साथ नई उमंग के साथ बच्चों के भविष्य को गढ़ना ही सही होता ?
स्कूलों को खोलने के आदेश पर राज्य सरकार को यह चाहिए कि अपने इस आदेश पर पुनः विचार करे जिस से बच्चे अभिभावक और शिक्षकों को राहत मिल सके ?

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