महासमुंद : जिले के झलप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में शिक्षक लव शुक्ला की ड़यूटी लगाई। ड्यूटी के बाद वे कोरोना संक्रमित हो गए। जिनकी रविवार शाम को मौत हो गई। लेकिन शिक्षक ने अपने पीछे कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
एक शिक्षक ने सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए कहा कि – सरकारी तंत्र की भेट चढ़ गया शिक्षा जगत का अनमोल सितारा… कही दूर चला गया हमसे, लेकिन एक संदेश दे गया- कोई भी परिस्थिति हो नौकरी तो करनी है. चाहे वो सरकारी अस्पताल हो जहाँ vaccination में duty लगी हो. जहा कोरोना की जांच भी हो रही हो. वही vaccinations भी हो रहा हो. 3 अप्रैल से 2021 से सरकारी अस्पताल झलप में शिक्षक लव शुक्ला की duty लगी थी वही से वो + हुये. जिम्मेदारी कौन लेगा? अधिकारी लोग इस बात का जवाब नही दे पा रहे हैं।
इधर, छत्तीसगढ़ में कोविड प्रोटोकॉल सुरक्षा संसाधन शिक्षकों को नहीं दिए गए हैं। फ्रंटलाइन वारियर्स की श्रेणी में रखे बिना शिक्षकों की ड्यूटी राजस्व अमले ने कोरोना संक्रमण से मृत रोगियों के शव को लाने ले जाने, कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के बीच जाकर ट्रेसिंग करने, संक्रमण का माध्यम मोहल्ला क्लास चलाने जैसे कार्यों में लगाई है। शिक्षक संघ दो दिन पहले ही इसे अव्यवारिक आदेश बताते हुए विरोध किया था।
तुगलकी और अव्यवहारिक आदेशों को शीघ्र वापस लिए जाए
संघ ने तत्काल इस पर रोक लगाते हुए इन तुगलकी आदेशों के परिपालन में कोरोना संक्रमित होकर अपनी जान गवां चुके दिवंगत शिक्षकों के परिवार को फ्रंट लाइन वारियर्स को दी जाने वाली 50 लाख की बीमा राशि और उनके घर के आश्रित को शासकीय नौकरी देने की मांग की है।
संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाने का कड़ा प्रतिकार करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमित रोगियों के लाशों के परिवहन जैसे कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर शिक्षक पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई जा रही है। ऐसे तुगलकी और अव्यवहारिक आदेशों को शीघ्र वापस लिए जाए अन्यथा प्रदेश के समस्त शिक्षक इस जैसे अव्यवहारिक आदेशो का सामूहिक बहिष्कार करने को बाध्य होगा।
ये पुरानी पोस्ट भी सोशल मीडिया में हो रहा वायरल
संगठन के महासचिव धर्मेश शर्मा, कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में संग्लन करने से मना किया है। इसके बावजूद स्थानीय शासन प्रशासन अनेक गैर शैक्षणिक कार्यों में जैसे चुनाव, जनगणना आदि में शिक्षकों की सेवाएं लेते रहे हैं।