मुआवजा और पुनर्वास के बिना खनन कार्य का विस्तार, किसान सभा ने मलगांव फेस पर रोक लगाने की मांग की, 8 को खदान बंद आंदोलन

मुआवजा और पुनर्वास के बिना खनन कार्य का विस्तार, किसान सभा ने मलगांव फेस पर रोक लगाने की मांग की, 8 को खदान बंद आंदोलन

दीपका (कोरबा)। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने सेफ्टी जोन बनाये बिना एवं ग्रामीणों को मुआवजा और पुनर्वास दिये बगैर एसईसीएल दीपका क्षेत्र अंतर्गत मलगांव फेस में खनन विस्तार पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। किसान सभा का आरोप है कि अंधाधुंध खनन और मुनाफे के लालच में आम जनता के जीवन से खिलवाड़ करते हुए रिहायशी क्षेत्र से मात्र 15 मीटर दूरी पर विस्फोट किया जा रहा है, जो नियम विरुद्ध है। इस संबंध में एक ज्ञापन आज एसईसीएल दीपका क्षेत्र के महाप्रबंधक को सौंपकर 8 जनवरी को खदान बंद आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

मलगांव का दौरा करने के बाद किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने बताया कि खनन कार्य रिहायशी क्षेत्रों से 200 मीटर की दूरी के बाद ही करने का नियम है, लेकिन मालगांव खनन विस्तार में मुआवजा और पुनर्वास दिए बिना ही एसईसीएल ने किसानों की जमीन हड़प ली है और उनके घरों से मात्र 15 मीटर की दूरी पर ही हैवी ब्लास्टिंग की जा रही है, जिससे ग्रामीणों के घरों पर बड़े–बड़े पत्थर गिरने से उनके घरों को नुकसान तो पहुंच ही रहा है, वे घायल भी हो रहे हैं। ब्लास्टिंग के कारण कई बोर धंस गए है और पेयजल संकट भी उत्पन्न हो रहा है। इसके साथ ही डस्ट के कारण ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

दीपका महाप्रबंधक को दिए अपने ज्ञापन में किसान सभा ने मलगांव विस्तार क्षेत्र में ब्लास्टिंग और विस्तार कार्यों पर तत्काल रोक लगाने एवं ब्लास्टिंग के कारण ग्रामीणों को पहुंचे नुकसान का तत्काल मुआवजा देने, पेयजल की उचित व्यवस्था करने, नियमानुसार सेफ्टी जोन बनाने, मलगांव में हर सप्ताह मेडिकल कैंप लगाने, प्रत्येक छोटे–बड़े खातेदार को स्थाई रोजगार देने और इस क्षेत्र के प्रभावितों को आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100% रोजगार देने की मांग की है। किसान सभा ने राज्य सरकार और कोरबा जिला प्रशासन से भी इन मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही करने की अपेक्षा की है।

किसान सभा नेताओं ने कहा है कि मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास के बिना इस गांव में एसईसीएल को विस्तार कार्य करने नहीं दिया जाएगा। किसान सभा ने एसईसीएल के जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को दीपका खदान बंद करने की भी घोषणा की है।

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