रायपुर : छत्तीसगढ़ में इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या में भारी बढ़ोतरी का अनुमान है। छत्तीसगढ़ में पिछले साल MSP पर अपनी उपज बेचने वाले किसानों की संख्या 94 प्रतिशत थी, लेकिन इस साल ये आंकड़ा 98 प्रतिशत रहने की उम्मीद है और ये सब राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों के चलते मुमकिन हो पाया है।
छत्तीसगढ़ में पिछले दो साल में न केवल खेती का रकबा बढ़ा है बल्कि जो लोग खेती-किसानी को अलाभकारी व्यवसाय मानते हुए इसे छोड़ दे रहे थे वो लोग एक बार फिर वापस खेती की ओर अपना रूख कर रहे हैं।
पिछले 2 साल में कैसे बढ़ा ये आंकड़ा ?
आपको बता दें कि साल 2017 में प्रदेश के अंदर 76 प्रतिशत किसानों ने MSP पर अपना धान बेचा था, लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद और भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 2019 में ये आंकड़ा 92.61 और 2019 में 94.02 पहुंच था। इस साल राज्य में 2 लाख 48 हजार 171 नए किसानों ने भी रजिस्ट्रेशन कराया है तो यह आकड़ा इस बार 98 प्रतिशत से भी पार पहुंचने की उम्मीद है।
राज्य में एक महीने होगी MSP पर धान की खरीद
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में बीते एक दिसंबर से MSP पर धान की खरीद शुरू हो गई है। राज्य में इस साल धान बेचने के लिए 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने पंजीयन कराया है, जिनके द्वारा बोये गए धान का रकबा 27 लाख 59 हजार 385 हेक्टेयर से अधिक है। दो सालों में धान बेचने वाले किसानों का रकबा 19.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.68 लाख हेक्टेयर और किसानों की संख्या 12 लाख 6 हजार बढ़कर 18 लाख 38 हजार हो गई है।
2017 के बाद से ऐसे बढ़ी धान की खरीद
साल 2017-18 में छत्तीसगढ़ राज्य में समर्थन मूल्य पर 56.85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी। दो सालों के दौरान धान खरीद का यह आंकड़ा 83.94 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया। इस साल धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या और धान की रकबे को देखते हुए समर्थन मूल्य पर बीते वर्ष की तुलना में ज्यादा खरीदी का अनुमान है।