Reported by : सलीम कुरैशी (पालघर)…
महाराष्ट्र/पालघर : विश्व के सभी औषधज्ञ और दवासाज इस महामारी में अग्रिम स्थान पर लोगों की सेवा में जुटे हैं इसीलिये वह 25 सितम्बर को विश्व फार्मसिस्ट दिवस नही माना पाये, बल्कि लोगों की सेवा करके अपना योगदान दें रहे है. कोरोना महामारी के तहत विश्व के सारे औषधज्ञ और दवासाज (फार्मसिस्ट), समाज के कितने महत्त्वपूर्ण अंग हैं वह दुनिया के सामने आया हैं. जब पुरा देश डर कर घर में बैठा था तभी भी स्वास्थ योध्दाओं के साथ मिलकर सिर्फ औषधज्ञ और दवासाज ही इस महामारी का सामना निडर होके रुग्णसेवा करते रहे है. अपनी इसी निस्वार्थ सेवा की वजह से यह समाज का एक महत्त्वपूर्ण स्थंभ उभरकर सामने आया हैं.
वहीँ इस साल विश्व फार्मसिस्ट दिवस की लाक्षणिक धून (थीम) ‘रोग प्रतिरोधक शक्ती बढाने एवं सामाजिक दुरी बनाये रखने’ की हैं. इस अवसर जेनेरिक आधार के संस्थापक एवं सीईओ अर्जुन देशपांडे ने विश्व फार्मसिस्ट दिवस के अवसर औषधज्ञ और दवासाज (फार्मसिस्ट) को अपने अनोखे अंदाज में दिल से शुक्रगुजार करते हुवे कोटी-कोटी धन्यवाद दिया. वहीँ कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने के लिये जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. विश्व फार्मसिस्ट दिवस पर सीईओ अर्जुन देशपांडे ने पत्रकार सलीम कुरैशी से बात करते हुवे कहा कि ‘औषधज्ञ और दवासाज (फार्मसिस्ट) का काम सिर्फ दवाई बेचना नही बाल्की रोगी का स्वास्थ और सुरक्षता भी हैं इसके साथ गलत दवाई देने की त्रुटी को भी रोकना हैं.’ इस काम में औषधज्ञ और दवासाज (फार्मसिस्ट) स्वास्थ्य औषध निर्माण के साथ-साथ मरीजों को सस्ते दाम में दवाई उपलब्ध कराने का भी दृष्टिकोन रखता हैं. इसी उद्देश्य को पुरा करने उन्होने अपनी जेनेरिक आधार को औषधज्ञ और दवासाज के साथ खडी की है .
जेनेरिक आधार अपने औषधज्ञ और दवासाज भाइयों को सुनेहरा मौका उपलबद्ध कराते हुअे उन्हे व्यावसायिक उद्यमी बनने का अवसर देती हैं. जेनेरिक आधार पर अपने कारोबार की पुरे भारत भर में फैलाने के लक्ष्य से इस साल में 800 से भी अधिक खुदरा दुकान (रिटेल आउटलेट) को विशेष विक्रिय अधिकार (फ्रांचाईसी) देकर हर भारतीय को जेनरिक दवाई उपलब्ध कराने में कटिबध्द हैं.
मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया
प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया को सहयोग देते सीईओ अर्जुन देशपांडे ने उसे सच्चे दिल से बढावा दिया हैं. इसके लिये उन्होंने भारत में बनने वाली उच्चतम गुणवत्ता कि दवाई सस्ते दाम में हर भारतीय को उपलबद्ध कारने की कोशिश में हैं.
रतन टाटा का आर्थिक तथा नैतिक समर्थन :
अर्जुन देशपांडे की इस अभिनव संकल्पना को रतन टाटा ने भी खूब सरहाया हैं. उन्होंने सिर्फ नैतिक समर्थन ही नहीं दिया बल्की जेनरिक आधार में आर्थिक निवेश भी किया है. उनका कहना हैं की “अर्जुन देशपांडे अपने जेनरिक आधार के माध्यम से सिर्फ रोजगार निर्माण का काम कर रहे है, साथ ही वह इस देश के नौजवानो को व्यावसायिक बनने को प्रेरित भी कर रहे हैं. उसके साथ गरीब लोगों को सस्ती दवाई भी देकर समाज सेवा का काम भी करते हैं. समाजसेवा और व्यवसाय का अनोखा मिलाप उन्होने इस कम उमर में कर दिखाया हैं.”
जाने जेनरिक आधार के बारे में सांक्षेपित में…
16 साल की आयु में अर्जुन देशपांडे को यह अभिनव कल्पना सुझी कि देश के गरीब लोगों को सस्ती दवाई उपलब्ध होनी चाहिए. अपनी इसी संकल्पना को हकीकत में लाने के लिये उन्होंने जेनरिक आधार को जन्म दिया. आज जेनरिक आधार, स्वास्थ लाईफ सायन्स प्रा. ली. का पांजिकृत व्यापार चिन्ह (रेजिस्टरड ट्रेड मार्क) हैं.
सांख्यिकी अंक विवरण (स्टॅटिस्टिकस) के अनुसार आज भारत के 60% लोग भारी कीमत की वजह से दवाई नही खरीद पाते. जबकि 85 से 90% दवाई भारत में ही बनती हैं जो जेनरिक हैं मगर बड़ी कम्पनियां उसे अपना नाम दे के ब्रांड बना देती हैं. ब्रांड और विज्ञापन की वजह से उसी दवाई की कीमत बढती हैं, और अंत में ग्राहक को महंगी दवाई खरीदनी पडती हैं. जेनरिक आधार ने फार्मा कंपनियों के इसी निती को खत्म किया है.
एक-एक दवाई की दुकानों को अपना ब्रांड नाम और ताकत दे के ऑनलाईन फार्मसी और बड़ी कंपनी की चेन दुकांनो के सामने टिकने का मौका दिया हैं. जेनरिक दवाई से अकेले दुकानो को अधिक उच्च लागत लाभ कमाने का तरीका और ग्राहकों को भी सस्ते दाम में दवाई उपलब्ध हो रही हैं. जेनरिक आधार की बी-2 बी और बी-2 सी फ्रेन्चीसी मॉडेल आज बडी फार्मा कंपनी की एकाधिकार को खत्म कर रही हैं.