Thursday, April 25, 2024

600 साल पुरानी इटेलियन ममी के पेट से बनाया E.coli बैक्टीरिया का जीनोम

ई-कोलई (E.coli) नामक बैक्टीरिया के बारे में आपने कभी न कभी पढ़ा या सुना जरूर होगा। यह घातक बैक्टीरिया की श्रेणी में आता है जो इन्सान की पाचन नली में पाया जाता है। हालांकि, यह कब से हमारे साथ रहता आ रहा है, अभी तक इसके बारे में पता नहीं लग पाया है। अब शोधकर्ताओं ने इस बैक्टीरिया का प्राचीन जीनोम तैयार कर लिया है। मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने 16वीं शताब्दी की एक इटालियन ममी की पित्त पथरी से इस बैक्टीरिया का प्राचीन जीनोम तैयार किया है। जीनोम में किसी प्राणी की सभी जेनेटिक सूचनाएं मौजूद होती हैं। E.coli किसी तरह की महामारी का कारण नहीं बनता है, बल्कि इसे साथ खाना खाने वाले बैक्टीरिया के रूप में जाना जाता है। ये बैक्टीरिया हमारे शरीर में आंतों में मौजूद होते हैं और जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है, तो यह हमला करते हैं। ये बैक्टीरिया अधिकतर तनावग्रस्त, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं या उन्हें बीमार कर देते हैं। Black Death जैसी महामारी, जिसने 20 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, इतिहास में मौजूद है। लेकिन ईकोलई बैक्टीरिया की वजह से हुई मौतों के बारे में इतिहास में कोई सबूत मौजूद नहीं है। कम्युनिकेशन बायलॉजी  में प्रकाशित स्टडी में बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने 600 साल पुराने E.coli को बनाने की कोशिश की है, जो इसके विकास के बारे में काफी कुछ सामने ला सकता है। इसके लिए उन्होंने एक इटालियन ममी के शरीर के रेशों का इस्तेमाल किया है। शोधकर्ताओं की टीम ने 1586 में मृत्यु को प्राप्त हुए 48 साल के एक नोबेल की ममी की जांच की। टीम ने पाया कि उसे पित्त की पथरी भी थी। इसके कारण वह पित्त की थैली की जलन से भी पीड़ित था। McMaster यूनिवर्सिटी में स्नातक के एक स्टूडेंट ने कहा कि जब हम इसकी जांच कर रहे थे तो हमें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि इस व्यक्ति के अंदर E. coli बैक्टीरिया मौजूद था। छोटी चेचक जैसे किसी इन्फेक्शन के अलावा हमें ऐसा कोई शारीरिक संकेत नहीं मिला। किसी को नहीं पता कि वह क्या था, E.coli की अधिकतर प्रजातियां किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। लेकिन इसके कुछ स्ट्रेन ऐसे हैं जो जानलेवा फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं और खून के इन्फेक्शन भी पैदा कर सकते हैं। साथ ही यह एडेप्टेबल भी होता है। किसी भी दवाई के अनुसार यह अपने आप को ढाल लेता है और फिर उसका असर इस पर होना बंद हो जाता है। 

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