उम्मीद कि सरहदों पर दिवाली मनाने से पहले प्रधानमंत्री जी साउथ ब्लॉक कार्यालय में बुलाएं – रणबीर सिंह

नई दिल्ली :
बीएसएफ व सेना के बीच आपसी समन्वय स्थापित करने व संयुक्त ट्रेनिंग अभ्यास। भारत की पहली रक्षा पंक्ति बार्डर सिक्युरिटी फोर्स के जवानों की क्षमताओं को मजबूत करने, बेहतर तालमेल व संयुक्त प्रशिक्षण का अभ्यास जोकि समय समय पर आवश्यकता रही है।

महासचिव रणबीर सिंह ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि बीएसएफ अकेली बार्डर गार्डिंग फोर्स है जिसके पास मैरीन विंग, एयर विंग व अपना तोपखाना है। अपना घर सरहद पर जैसा वाक्या बीएसएफ जवानों पर पुरे तरह से खरा उतरता है। बांग्लादेश, पाकिस्तान से सटी हजारों किलोमीटर सीमाओं की चाक चौबंद चौंकिदारीं रूस्तम बल के पास है। पहली गोली पहली रक्षा पंक्ति के जवान को लगती है जिसके कारण पुरा देश चैन की नींद सोता है जबकि जवान मात्र 4-6 घंटे की नींद ले पाता है। देश वासियों को बीएसएफ बारे पता लगना चाहिए कि जवान बैरकस में नहीं बल्कि बार्डर पर चौकस तैनात हैं।

रणबीर सिंह ने बीएसएफ के जवानों को सिविलियन कर्मचारियों के तौर पर सुविधाएं देने पर कड़ा एतराज़ जताया। क्या किसी फोर्सेस डीजी द्वारा केंद्र सरकार के उस तुगलकी फरमान का विरोध किया जिसमें बीएसएफ व अन्य सुरक्षा बलों की आजादी से लगातार मिलने वाली पेंशन रोक दी गई ऐसा 70 सालों में कभी नहीं हुआ। जब बीएसएफ के जवान सेना के साथ अभ्याश करते हैं तो सेना के बराबर सुविधाएं क्यों नहीं देश के सामने बड़ा सवाल। अपनी सीमा रेखाओं के बारे में बीएसएफ जवानों से बेहतर कौन जाने फिर इन वीर जवानों को भी वन रैंक वन पेंशन मिले, सेना सीएसडी कैंटीन पर जीएसटी टैक्स छूट की तर्ज पर सस्ता घरेलू सामान मिले, एक्स मैन दर्जा मिले, टोल टैक्स, प्रोपर्टी व हाउस टैक्स में छूट मिले जिसके वो हकदार हैं।

जिस तिरंगे की जवान 40 साल करता है और उसी तिरंगे में लिपटा देश के लिए जान न्यौछावर कर देता है तो उनके परिवारों के कल्याण एवं पुनर्वास हेतु झंडा दिवस कोष क्यों नहीं। क्या बीएसएफ के जवानों सैनिक स्कूलों में दाखिला मिलता है जिन सेना जवानों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। क्या बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वास्ते रेफरल एंड रिसर्च अस्पताल या उच्च शिक्षा वास्ते सेना जवानों के लिए बने पुणे मेडिकल कॉलेज में बीएसएफ के बच्चों को दाखिले मिलते हैं। काश ऐसा ना हो कि भविष्य में लडाई हो जाए तो बीएसएफ जवान से बेहतर कौन जाने कि कौन सी पहाड़ी के दामन से दुश्मन पर अटैक किया जाए कौन से नदी नालों को पार कर दुश्मन के बैंकर्स को बर्बाद किया जा सकता है।

पिछले 20 सालों में पैंशन व अन्य असुविधाओं के चलते फोर्सेस से नौकरी छोड़ने, स्वेच्छा से त्यागपत्र देने वाले जवानों व आफिसर्स में बढोतरी हुई है। ड्युटी के घंटों में अधिकता, मानसिक तनाव व स्वभाव में चिड़चिड़ापन के चलते अक्सर आत्महत्याएं तक का जानलेवा कदम उठा लेने के केस सामने आ रहे हैं और सरकारी तंत्र व गृह मंत्रालय चैन की नींद सो रहा है।

ज्ञातव्य रहे कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के भलाई संबंधित मुद्दों को लेकर कॉनफैडरेसन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा कॉन्स्टीट्यूशन क्लब नई दिल्ली में 12 सितंबर को आल इंडिया सेमिनार आयोजित कर माननीय प्रधानमंत्री जी व केंद्रीय गृहमंत्री जी साउथ व नॉर्थ ब्लॉक कार्यालयों में ज्ञापन सौंपा गया था। लाखों सरहदी चौकीदारों की ओर से यशस्वी प्रधानमंत्री जी को जन्म दिन के उपलक्ष्य पर ढेर सारी शुभकामनाएं उम्मीद कि लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी सरहदों पर दिवाली मनाने से पहले पुर्व अर्धसैनिकों के प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए बुलाएंगे।