डीजल के बजाय बिजली इंजन से अंतागढ़ से रायपुर तक 110 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेन चलेगी। इसका फायदा ट्रेन में सफर करने वाले बालोद, दुर्ग, रायपुर, कांकेर जिले के लोगों को होगा। इसके लिए 1.16 अरब रुपए की लागत से विद्युतीकरण होगा। मरोदा से बालोद-दल्लीराजहरा तक विद्युतीकरण के लिए पोल लगाने व तार जोड़ने का काम चल रहा है।
चीफ स्टेशन मास्टर का अनुमान है कि एक साल में यह काम पूरा हो जाएगा। रेलवे के अफसरों का कहना है कि फिलहाल रेलवे ने कम यात्रियों के कारण ट्रेन नहीं चलाने का निर्णय लिया है। लेकिन जल्द ही हालात बेहतर होते ही ट्रेन चलाने का निर्णय लिया जाएगा। विभागीय रिकॉर्ड में ट्रेनों की रफ्तार अभी 60 से 70 किमी प्रतिघंटा है। रेलवे बोर्ड ने स्पीड बढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत विद्युतीकरण कार्य हो रहा है।
लोकल ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने की योजना: लोकल ट्रेनों में रोज हजारों यात्री सफर करते हैं। इसलिए रेलवे प्रशासन ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने का प्लान तैयार किया है। इसके तहत विद्युतीकरण का काम पूरा होने के बाद ट्रेनें 110 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। फिलहाल रायपुर से केंवटी तक डीजल इंजन वाली ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है, क्योंकि मरोदा से केंवटी तक विद्युतीकरण का काम नहीं हुआ है। बिजली इंजन नहीं चलने से रेलवे को राजस्व का नुकसान हो रहा है इसलिए विद्युतीकरण जारी है।
पहले चरण में मरोदा से दल्ली तक का काम होगा
रेलवे विभाग के अनुसार प्रथम चरण में मरोदा से दल्लीराजहरा तक विद्युतीकरण किया जाएगा। फिर आगे के स्टेशनों तक विद्युतीकरण किया जाएगा। वर्तमान में रायपुर से केंवटी तक 166 किलोमीटर तक ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है। अंतागढ़ तक ट्रेक बिछ चुकी है। जिसका विस्तार हालात अनुसार जल्द होगा।
इस रूट पर फिलहाल डीजल से चल रही है ट्रेनें
कोरोनाकाल के पहले तक केंवटी से रायपुर तक एक ट्रेन रोजाना एक बार आना-जाना कर रही थी। इसके अलावा केंवटी से दुर्ग फिर दल्लीराजहरा तक रात तक 6 फेरा लगा रही थी। फिलहाल विभागीय रिकॉर्ड में सभी ट्रेनें डीजल इंजन से चल रही हैं। विद्युतीकरण के बाद यात्रियों का समय भी बचेगा।
विद्युतीकरण होने से इंजन को नहीं बदलना पड़ेगा
चीफ स्टेशन मास्टर पीके वर्मा ने बताया कि डीजल इंजन के चलने से प्रदूषण होता है। वहीं गाड़ियों की गति भी कम होती है। दरअसल इस रूट पर जाने के लिए ट्रेनों का इंजन कई बार बदलना पड़ता है। विद्युतीकरण होने से इंजन नहीं बदलना पड़ेगा, बिजली इंजन लगने से ट्रेनों की गति बढ़ जाएगी।
दुर्ग से रायपुर महज 28 मिनट में पहुंचाएगी ट्रेन
कार्य पूरा होने के बाद दुर्ग से रायपुर का सफर महज 28 मिनट तक पूरा होने का अनुमान है। अभी इसे पूरा करने में 55 मिनट लगते हैं। बालोद से सफर करने वाले यात्री भी 15-20 मिनट पहले ही दुर्ग, भिलाई, रायपुर, दल्लीराजहरा पहुंचेंगे। दुर्ग, मरोदा, गुडंरदेही, लाटाबोड़, बालोद, दल्लीराजहरा, भिलाई-3, चरोदा, कुम्हारी से रायपुर तक लोकल ट्रेनें से यात्री आना-जाना करते हैं।
स्पीड बढ़ाने की शुरुआत बालोद-दुर्ग रूट पर पहले
लोकल ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने की शुरुआत दुर्ग से दल्लीराजहरा रूट से होगी। मेमू रायपुर से 6 फेरे ले रही है। रायपुर से सुबह 9.15 बजे छूटती है। दुर्ग, मरोदा, गुुंडरदेही, बालोद, कुसुमकसा, होते हुए दोपहर 12.50 बजे भानुप्रतापपुर पहुंचती है। मेमू 158 किलोमीटर दूरी तय करने में 3.35 घंटे ले रही है। स्पीड बढ़ने से करीब एक घंटे का समय कम लगेगा।
सीएसएम ने कहा- एक साल में काम पूरा होगा
चीफ स्टेशन मास्टर पीके वर्मा ने बताया कि 110 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से डीजल के बजाय बिजली से ट्रेन चलाने की योजना बनी है। इसके तहत बालोद में विद्युतीकरण कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि एक साल में यह काम पूरा होने का अनुमान लगा रहे हैं। डीजल से प्रदूषण होता है, जो नहीं होगा। फिलहाल केंवटी से रायपुर तक ट्रेन नहीं चल रही है।