Thursday, March 28, 2024

छत्तीसगढ़ में पुरी की तरह रथ यात्रा आज ,राज्यपाल और सीएम भी हुए शामिल

छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर और बस्तर सहित कई जिलों में पुरी की तर्ज पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुक्रवार को निकाली जाएगी। रायपुर के गायत्री नगर में इसके लिए पुरी की ही तरह रथों को सजाया गया है। भगवान इसकी सवारी करेंगे। वहीं बिलासपुर में 16 फीट लंबा, 17 फीट ऊंचा और 12 फीट चौड़ा रथ बनाया गया है। बस्तर में भी भगवान जनकपुरी स्थित गुंडिचा मंदिर में अपनी मौसी के घर जाएंगे।रायपुर में महाप्रभु के महापर्व से जुड़ी छटा देखने को मिलेगी। इसे लेकर खास तैयारियां भी की गईं हैं। उत्कल महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राधे श्याम विभार ने बताया कि यहां कार्यक्रम में प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत तमाम सियासी दिग्गज शामिल होंगे।

आयोजन समिति ने गायत्री नगर में तीन रथ तैयार करवाए हैं। इसी तरह पुरी में भी रथ यात्रा निकलती है। जिस रथ में जगन्नाथ विराजेंगे उसे ‘नंदीघोष कहा जाता है। भाई बलराम जी के रथ का नाम ‘तालध्वज’ है,बहन सुभद्रा जी ‘दर्पदलन’ रथ पर सवार होती हैं। ये तीनों रथ शुक्रवार को लोगों के दर्शन के लिए मौजूद रहेंगे।

मान्यता के मुताबिक गायत्री नगर के जगन्नाथ मंदिर में स्नान पूर्णिमा के बाद से ही बीमार हैं। पिछले करीब 15 दिनों से भगवान जगन्नाथ को काढ़ा दिया जा रहा था। इसके लिए जगन्नाथ पुरी और ओडिशा के नरसिंह नाथ से जड़ी-बूटियां हर साल रायपुर आती हैं। इसी से बने काढ़े का भोग भगवान को लगता है।टुरी हटरी, पुरानी बस्ती स्थित 500 साल पुराने जगन्नााथ मंदिर में महंत रामसुंदर दास के नेतृत्व में अभिषेक, हवन-पूजन के बाद दोपहर बाद रथयात्रा निकाली जाएगी। दोपहर 2:30 बजे भगवान जगन्नाथ जी, माता सुभद्रा और बलदाऊ जी रथ पर विराजित होंगे। इसके बाद लोहार चौक, पुरानी बस्ती थाना, कंकालीन तालाब, तात्या पारा चौक, आजाद चौक, आमापारा चौक होते हुए लाखे नगर चौक तथा टिल्लू चौक पहुंचेंगे। यहां भगवान जनकपुर में विश्राम करेंगे।

सदरबाजार स्थित 150 साल पुराने जगन्नााथ मंदिर में पुजारी परिवार के नेतृत्व में पूजन के बाद गाजे-बाजे के साथ यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा कोतवाली चौक, कालीबाड़ी होते हुए टिकरापारा पुजारी पार्क के समीप गुंडिचा मंदिर में समाप्त होगी।

इसके अलावा कोटा स्थित श्रीरामदरबार परिसर, अश्विनी नगर, गुढ़ियारी, आकाशवाणी कालोनी, पुराना मंत्रालय, लिली चौक और आमापारा नगर निगम कालोनी से और बढ़ई पारा से भी दिन भर रथ यात्राएं निकलेंगी।बिलासपुर‎ में सुबह 5.30 बजे‎ मंगल आरती हुई। इसके बाद सुबह 6.30 बजे‎ सूर्य पूजा, 7 बजे द्वारपाल पूजा, 7.30‎ बजे नवग्रह पूजा, 7.30 से 10 बजे‎ तक हवन कर महाप्रसाद‎ अर्पित किया जा रहा है। दोपहर में पहंडी भीज होगा।‎ इसके बाद भगवान का अह्वान किया‎ जाएगा। फिर छेरा पहरा की रस्म होगी।‎ इसके बाद भगवान रथ पर संवार होंगे।‎ दोपहर 2 बजे भगवान का रथ 101‎ मीटर की रस्सी से भक्त खीचेंगे। भक्त‎ भगवान को पूरा शहर भ्रमण कराएंगे।

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की‎ यह परंपरा 104 साल पुरानी है। शहर के तीन मंदिरों से रथयात्रा निकलकर व्यंकटेश‎ मंदिर पहुंचती है। शाम 4 बजे सदर बाजार स्थित पारासर मंदिर, गोंड़पारा दर्जी‎ मंदिर, जूना बिलासपुर स्थित राधा-कृष्ण मंदिर से शोभायात्रा निकलेगी। व्यंकटेश‎ मंदिर पहुंचेगी। यहां पूजा-अर्चना होगी। भगवान को भोग लगाया जाएगा। 9 जुलाई को‎ भगवान की घर‎ वापसी के लिए‎ बहुड़ा यात्रा‎ निकलेगी।बस्तर में 615 सालों से चली आ रही है परंपरा लगातार जारी है। जगन्नाथ‎ पुरी के बाद बस्तर में ही गोंचा महापर्व में विशाल रथयात्रा निकाली जाती है।‎ शुक्रवार को तीन रथ निकलेंगे, जिसमें इस साल एक रथ, जिस पर भगवान‎ जगन्नाथ आरूढ़ होंगे, नया बनाया गया है। जबकि बाकी दूसरे दो रथ पिछले‎ साल के हैं, जिनमें बहन सुभद्रा और भ्राता बलभद्र सवार होंगे।‎

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