रायपुर में लॉकडाउन के बाद बुधवार को महासमुंद जिले में यात्री बसों के पहिए थम गए। मंगलवार तक बागबाहरा रूट पर चलने वाली बसों का संचालन भी यात्री नहीं मिलने से बुधवार को बंद हो गया।
महासमुंद. राजधानी रायपुर में लॉकडाउन के बाद बुधवार को महासमुंद जिले में यात्री बसों के पहिए थम गए। मंगलवार तक बागबाहरा रूट पर चलने वाली बसों का संचालन भी यात्री नहीं मिलने से बुधवार को बंद हो गया। यात्रियों को एक बार फिर से परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
बस स्टैंड महासमुंद में सभी बसें बुधवार को खड़ी रहीं बस एसोसिएशन के मुताबिक रायपुर व बलौदाबाजार में लॉकडाउन होने की वजह से बसें नहीं चलाई जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर पहले से ही बस ऑपरेटरों को घाटा हो रहा है। ज्ञात हो कि राज्य सरकार ने लोगों की परेशानी को देखते हुए बसों के संचालन की अनुमति तो दे दी है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लोग भी यात्रा करने से परहेज कर रहे हैं। बस संचालकों को सवारी नहीं मिल रही है। ऑपरेटरों को ड्राइवर, कंडक्टर और गाड़ी के मेंटनेंस का खर्चा ज्यादा आ रहा है। इस वजह से भी ऑपरेटर बस नहीं चला रहे हैं।
मिनी बस एसएससी के अध्यक्ष राकेश चंद्राकर ने बताया कि राजधानी में फिर से लॉकडाउन की वजह से बस सेवा प्रभावित हुई है। महासमुंद से रायपुर रोड में एक भी बस नहीं चली। बागबाहरा रूट पर चार-पांच यात्री ही थे. इस वजह से बसें नहीं चलाई गई। वहीं दूसरी ओर शासन से जो मांग की गई थी वो अभी तक पूरी नहीं हुई है। सात दिन लॉकडाउन रहने की वजह से सवारी भी नहीं मिलेगी। टैक्स भरना मुश्किल हो जाएगा।
10 प्रतिशत बस ही चल रही थी। ज्ञात हो कि जिले से लगभग 250 बसों का परिचालन किया जाता है, सभी के पहिए अभी थम गए हैं। अभी एक महीने ही नहीं हुए थे बस सेवा शुरू हुए और अब बंद होने से यात्रियों की मुसीबतें बढ़ गई है। कई लोग जो रायपुर आदि में जॉब करते हैं, उन लोगों के लिए फिर से परेशानी बढ़ गई है। उन्हें आने जाने में फिर से निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ेगा।
रक्षाबंधन पर बस चलेगी या नहीं, इस पर संशय :
रक्षाबंधन पर बस चलेगी या नहीं इस पर संशय बना हुआ है। सात दिन तक बसें बंद रहेंगी। उसके बाद रक्षाबंधन में सवारी मिलने की बस ऑपरेटरों को उम्मीद है, लेकिन चार-पांच दिनों के लिए बस चलाने को लेकर ऑपरेटरों में संशय है। बसों के नहीं चलने से रक्षाबंधन में यात्रा करने वाले भाई व बहनों को इस बार समस्या का सामना करना पड़ सकता है। एक बार फिर से निजी वाहनों में जाना पड़ सकता है।