मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, UP पुलिस को 5 FIR पर कार्रवाई नहीं करने का आदेश

फैक्‍ट चेकर मोहम्मद जुबैर  को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. SC ने UP पुलिस को उसके खिलाफ 5 FIR पर कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को पांच मामलों में संरक्षण दिया है और यूपी  पुलिस को राज्य में 5 FIR पर कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिया है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्‍त टिप्‍पणी करते हुए कहा है कि जुबैर को जब एक मामले में अंतरिम जमानत मिलती है लेकिन किसी और मामले में गिरफ्तार हो जाता है. कोर्ट ने कहा कि हम बुधवार को अंतरिम जमानत  याचिका पर सुनवाई करेंगे तब तक उनके खिलाफ कोई आक्रामक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. यूपी सरकार अन्य अदालतों को आदेश पारित करने से न रोके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सभी एफआईआर की सामग्री एक जैसी लगती है. जिस क्षण उसे दिल्ली और सीतापुर में जमानत मिली, वह एक अन्य मामले में गिरफ्तार हो गया. यह दुष्चक्र परेशान करने वाला है.जुबैर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को नोटिस जारी किया  है. साथ ही सॉलिसिटर जनरल को मामले में सहायता करने के लिए कहा है. इससे पहले,  6 FIR रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान जुबैर की ओर से पेश हुईं वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, “जुबैर एक फैक्ट चेकर है. उसे 27 जून को गिरफ्तार किया गया था.  जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने पहले सीतापुर एफआईआर से निपटा था. इस पर वृंदा ग्रोवर ने कहा, “अब पूरे यूपी में 6 एफआईआर हो गई हैं, इनमें से कुछ 2021 से पुराने हैं. कुछ में उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. उसके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए गए. जैसे ही एक मामले में संरक्षण मिला. दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया. आज हाथरस में 14 दिन का पुलिस रिमांड मांगा जा रहा है.यूपी सरकार के लिए SG  तुषार मेहता ने कहा, “मुझे अभी तक याचिका देखने का मौका नहीं मिला है. सुनवाई आज न हो. उन्‍होंने कहा, “हाथरस कोर्ट का जज आज पुलिस रिमांड दे भी सकता है और नहीं भी. इस आदेश  के बाद आप उसे  रद्द कर सकते हैं.  वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस तरह की टारगेटिंग खत्म होनी चाहिए.  यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है.  उन्होंने जुबैर की जानकारी के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा की.  जो लोग उसे गिरफ्तार कराने में मदद करेंगे उनको इनाम की घोषणा हुई.  इस पर यूपी सरकार की ओर से कहा गया कि आप इन आधारों पर एफआईआर रद्द करने की मांग नहीं कर सकते. वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ज़ुबैर पर हाथरस में दो, लखीमपुरखीरी में एक, सीतापुर में एक, गाज़ियाबाद में एक मामला दर्ज हुआ.  सीतापुर मामले में सुप्रीम कोर्ट में प्रोटेक्शन दिया था, दिल्ली वाले मामले में भी ज़मानत मिल चुकी है.  ज़ुबैर के खिलाफ IPC की धारा 298A और IT एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है जिसमें अधिकतम तीन साल की सज़ा का प्रावधान है. जांच का क्या औचित्य है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप यह बताइये आप आज क्या चाहती हैं?  ग्रोवर ने कहा कि  हाथरस मामले में जुबैर के खिलाफ शिकायतकर्ता दीपक शर्मा नाम के शख्स ने शिकायत दर्ज कराते हुए सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक बयानबाजी की.  इस तरह की शिकायतें हैं जिनके लिए पत्रकारों को दंडित किया जाएगा? 4 जुलाई को हाथरस की प्राथमिकी दर्ज की गई थी तब तक वो एक अन्य मामले में दिल्ली पुलिस की हिरासत में था. वृंदा ने कहा, “हाथरस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जुबैर हिंदू देवताओं का मजाक उड़ा रहा है.  जुबैर को जान से मारने की सीधी धमकी दी गई थी लेकिन यूपी पुलिस ने उन ट्विटर हैंडल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.  मैं उनके लिए अंतरिम जमानत की मांग कर रही हूं जैसे सीतापुर मामले में SC ने दी थी.  इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया.  SG  यहां एक अन्य मामले में थे इसलिए हम आगे बढ़े लेकिन हमें नोटिस जारी करना होगा. इस पर ग्रोवर ने कहा कि अंतरिम जमानत दी जाए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या ये सभी एफआईआर एक ही मुद्दे पर हैं तो ग्रोवर ने कहा कि सभी एफआईआर में व्यापक आरोप हैं. 

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