न्याय की आस में मां

पिछले 2 दिन से न्याय की आस लिए गुहार लगा रही महिला से मिलने पहली बार कोई नेता पहुंचा है जिससे महिला को एक आस मिली है, बता दें 24 से अधिक घंटे बीत जाने के बाद भी महिला की सुध लेने कोई नही पहुंचा, जहा एक तरफ लोग पीड़ित महिला के साथ खड़े है तो वही नेता और अधिकारी इस मामले से दूरी बनाए हुए है।

आज शाम को पूर्व मंत्री महिला से मिलने आए थे, पर उनसे कोई बात नही हुई,पूर्व मंत्री आए और चले गए, वही देर शाम पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव महिला से मिलने पहुंचे जो करीब एक घंटे तक महिला से चर्चा की, जिसके बाद वे लगातार फोन पर संबंधित अधिकारियों से चर्चा करते रहे। और बात करने के बाद अटल श्रीवास्तव ने पीड़ित महिला को जानकारी देते हुए बताया की आपकी बेटी का रायगढ़ जाना कैंसल हो गया है। अगर आपको आपकी बच्ची चाहिए तो प्रक्रिया पूरी करनी होगी, इस लिए आप अभी धरना खत्म कर दीजिए, पर पीड़ित महिला ने कहा की आप कलेक्टर साहब को फोन लगाकर बोल दीजिए अगर कलेक्टर बोल देंगे तो मुझे बच्ची अभी मिल जाएगी, और मैं धरना खत्म कर दूंगी। बहरहाल, आज दूसरी रात होगी जब खुले आसमान के नीचे भरी ठंड में पीड़ित मां और समाज सेविका प्रियंका शुक्ला के साथ अन्य लोग कलेक्ट्रेट के समाने रात बिताएंगे,क्या कोई नही है जो न्यायधानी की बेटी को इंसाफ दिला सके. इतने लोग आते- जाते कलेक्टर परिसर के सामने से गुजरते है, और धरने पर बैठी महिला व अन्य लोग को देखकर पूछते है की भाई साहब यहां क्या हो रहा है .उन्हें बताया भी जाता है कि 2 माह से सीडब्ल्यूसी की टीम मासूम बच्ची को अपने कब्जे में रखी है और बच्ची का पिता ही उसके साथ गलत काम किया है, पर यह सब सुनने के बाद लोगों की उत्सुकता खत्म हो जाती है। और वे गाड़ी स्टार्ट करके चले जाते है।

क्या न्यायधानी के लोगों में इंसानियत मर चुकी है क्या लोग अब सिर्फ तमाशा देखना जानते हैं?एक मां के साथ हम खड़े नहीं हो सकते है? आज एक मां को हम सभी की जरूरत है. अगर एक मां से उसकी बच्ची को मिलाने हम एक कदम बढ़ाएंगे तो धीरे धीरे कारवां बन सकता है और हम सब की ताकत से मां और मासूम बच्ची को न्याय मिल सकता है।

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