रेल सेवक आचरण-अनुशासन एवं अपील नियमो की अनदेखी, वरिष्ट अधिकारीयों और कर्मचारियों के बीच जबरदस्त चल रही सांठ-गांठ

Reported by : दिनेश चंद्र कुमार (रायपुर)

रायपुर : रेलकर्मियो के कई कारनामे जग जाहिर है. कई ऐसे रेलकर्मी भी पाये जाते हैं, जो विभागीय नियमो को ताक पर रखते नजर आते हैं. रेल विभाग में ऐसा ही एक कर्मचारी हैं, जो पूर्व में अपने सिनीयर आफिसर के साथ मारपीट करने व अपने सुपरवाइज़र से विवाद करने के आरोप में दंडित किया जा चुका है. विभागीय नियमो के विपरीत कार्य करने पर यह रेलकर्मी हमेशा विवादो से घिरा रहता है. ऐसे कर्मियो पर नियमो की नकेल न कस पाने में असमर्थ दिखता रेल विभाग अब ऐसे कर्मियो के कारनामो पर लगाम लगाने में असहाय नजर नहीं आ रहा है.

रेलकर्मी नियमो के विपरीत ही कार्य करते पाये जा रहे हैं, जो रेल सेवक आचरण, अनुशासन एवं अपील नियमो की धज्जियां उडाते पाऐ जाते हैं. वहीँ विभाग की बदनामी जग-जाहिर ना हो इसलिए ऐसे कई मामले हैं, जो या तो दबा दिया जाता है या फिर कहा जाये कि नजरअंदाज कर दिया जाता है. ऐसे ही एक मामला सामने आया जिसमें हद से परे सारी सीमाये लाघंकर जब एक आरोपी रेलकर्मी को बचाने के लिए विभाग के अन्य रेल कर्मियो ने रेल विभाग की जांच को झूठा (गलत) ठहराकर रेल नियम विरूद्ध जाकर पुलिस जांच में झूठा बयान देकर विभागीय जाँच पर खुद ही सवाल खड़े करते नजर आ रहे हैं!

मामला :

मालूम हो कि R.T.I. आवेदक द्वारा रेल विभाग में R.T.I. लगाये जाने पर दिनांक 04/03/2020 को रेल विभाग प्रशासनिक भवन में R.T.I. विषय संबंध में विभाग द्वारा आवेदक को बुलाया जाता है, उसी दौरान प्रशासनिक भवन में रेलकर्मी गणेश चंद्र कुमार द्वारा R.T.I. आवेदक को गाली-गलौच कर जान से मारने की धमकी दिया जाता है. इस घटना से आहत आवेदक द्वारा रेल विभाग व थाना खमतराई पुलिस में शिकायत की जाती है.

मामलें में विभागीय जाँच :

रेल विभाग द्वारा शिकायत को गंभीरता से संञान में लेकर जाँच प्रक्रिया करते हुऐ आरोपी रेलकर्मी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है. जारी हुई नोटिस में जवाब संतुष्टि जनक ना पाऐ जाने पर विभाग का जांच का दायरा बढ़ जाता है, आखिरकार रेल विभाग के जाँच में आरोपी रेलकर्मी को प्रशासनिक भवन में आना पाया गया, जहाँ पर RTI आवेदक को बुलाया गया था. आरोपी रेलकर्मी दोषसिद्ध पाया गया जिस पर R.T.I. आवेदक की शिकायत सही पाई गई और रेल विभाग द्वारा आरोपी रेलकर्मी को सुधरने का अवसर देते हुए आगे से ऐसा अनुचित कार्य ना करने की समझाईश दी गई.

मामलें में खमतराई थाना की कार्यवाही :

वहीँ जब R.T.I. आवेदक के शिकायत पर थाना खमतराई पुलिस भी जाँच करती है जिसमें शिकायत से संबंधित शिकायतकर्ता. गवाह के साथ आरोपी रेलकर्मी का बयान लिया जाता है. थाना पुलिस जाँच के दौरान वैगन रिपेयर शॉप प्रशासनिक भवन के स्टाप कर्मचारियों का बयान भी लिया जाता है, जिस पर स्टाप कर्मचारियों द्वारा बयान दर्ज करवाया गया है. पुलिस जाँच में आरोपी रेलकर्मी के सहकर्मी (1)मुकुंद लाल गजेंद्र (2)चोला विजय साहू (3)फनेद्र यादव द्वारा कहां गया की उक्त घटना दिनांक समय आरोपी रेलकर्मी उनके साथ डयूटी खत्म कर बायोमैट्रिक पंज कर साथ मिलकर अपने घर W.R.S. colony में आना बताया व प्रशासनिक भवन नही जाना बताया गया है. चूँकि जाँच खमतराई थाना द्वारा रेल विभाग के जाँच पश्चात् की गयी थी, अतः जाँच प्रतिवेदन में सभी सहयोगी रेलकर्मियों द्वारा आरोपी गणेश चंद्र कुमार के पक्ष में गवाही देकर पुलिस जाँच को भ्रमित किया जाना प्रतीत हो रहा है.

उक्त मामलें में रेल विभाग के जांच पश्चात पुलिस जाँच में प्रशासनिक भवन में पदस्थ अन्य कर्मियो द्वारा भी जाँचकर्ता पुलिस को ऐसा बयान दिया गया है जो कि रेल विभाग की जाँच को झूठा साबित करता नजर आ रहा है, जो एक रेल सेवक के लिए अशोभनीय व रेल नियमो के विरुद्ध हैं, साथ ही प्रशासनिक भवन में कार्यरत दो महिला रेलकर्मी ने भी अपना बयान दर्ज करवाया.

खास बात :

मामलें में खास बात यह है कि जब रेल विभाग के जाँच में आरोपी कर्मी को दोषसिद्ध पाया गया है तो वहीँ विभागीय जाँच पश्चात् हुई पुलिस जाँच में आरोपी समेत सह रेलकर्मियों का भ्रमित बयान – ‘आरोपी के साथ घर जाना और घटना स्थल पर मौजूद न होना’, विभागीय जाँच की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है.

आरोपी गणेश चंद्र ने अपने सह रेलकर्मी को अपने साथ मिलाकार रेल विभाग के जांच पश्चात अपने विभाग के खिलाफ रेल विभाग जाँच को झूठा करार देकर पुलिस जाँच में बयान दर्ज करवाकर रेल विभाग के जाँच को सवालो के कटघेरे में खड़े कर दिया है.

पुलिस जाँच में आरोपी रेलकर्मी गणेश चंद्र कुमार के साथ अन्य रेलकर्मी (1) मुकुंद लाल गजेंद्र, (2) चोला विजय साहू, (3) फनेद्र यादव, (4) वैगन रिपेयर शॉप के निज सहायक चंदन दीवान, (5) प्रशासनिक भवन में पदस्थ कार्यालय अधीक्षक महिला रेलकर्मी, (6) प्रशासनिक भवन में पदस्थ पियुन महिला रेलकर्मी के द्वारा रेल विभाग जाँच पश्चात झूठा बयान पुलिस में दर्ज करवाया गया.

क्या मामलें पर होगी निष्पक्ष कार्यवाही :

  1. रेल विभाग जाँच में जब आरोपी रेलकर्मी गणेश चंद्र कुमार को दोषी पाया गया तो अन्य रेल कर्मियो द्वारा रेल विभाग के जाँच पश्चात झूठा बयान कैसे दिया गया ?
  2. क्या आरोपी रेलकर्मी द्वारा किसी प्रकार का कोई प्रलोभन के लालच में आकर झूठा बयान दिया जा रहा है, या किसी दवाब में ?
  3. रेल विभाग के जाँच को झूठा करार देकर रेल नियम विरूद्ध रेल विभाग जाँच के खिलाफ बयानबाजी कर आरोपी रेलकर्मी को बचाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है ?
  4. आरोपी रेलकर्मी के साथ मिलकर अन्य रेलकर्मी द्वारा झूठी पुलिस में बयान देकर रेल विभाग के जाँच को झूठा कयो कहां गया ?
  5. रेल विभाग की छवि धूमिल क्यों की गई ?
  6. आखिरकार रेलकर्मी को अन्य रेलकर्मियो द्वारा क्यों बचाया जा रहा है ?
  7. मामलें में वरिष्ट अधिकारीयों और कर्मचारियों के बीच क्या चल रही है जबरदस्त सांठ-गांठ ?

इन सभी रेल कर्मचारियों द्वारा दी गई बयानबाजी रेल विभाग को सवालो के कटघेरे में खडी करती नजर आ रही है. रेल नियमोनुसार ऐसा कार्य करते पाये जाना रेल सेवक आचरण, अनुशासन एवं अपील नियमो के उलंघन को दर्शाता है. इन सभी रेलकर्मियो द्वारा रेल नियम विपरीत जाकर रेल विभाग जाँच व वरिष्ठ अधिकारियों को सवालों के कटघेरे में खडा करना किस ओर इशारा कर रहा है. यह सवाल अब भी बाकी है?