महाराष्ट्र : अपने ही विधायकों की बगावत के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. जिसके बाद बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर गुरुवार को सरकार बनाने का ऐलान किया और मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली. इस पूरे घटनाक्रम में अचानक एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने का भाजपा का फैसला चौंकाने वाला रहा है.
अब एकनाथ शिंदे शिवसेना के निशाने पर हैं. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में 10 दिन से चले पूरे घटनाक्रम का जिक्र करते हुए सवाल पूछा, ठीक है, अनैतिक मार्ग से ही क्यों न हो तुमने सत्ता हासिल की, परंतु आगे क्या? यह सवाल बचता ही है. इसका जवाब जनता को देना ही होगा.
सत्य को खूंटी में टांग, फैसला सुना दिया
सामना में राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि, राज्यपाल और न्यायालय ने सत्य को खूंटी में टांग दिया और निर्णय सुनाया. इसलिए विधि मंडल की दीवारों पर सिर फोड़ने में कोई अर्थ नहीं था. पार्टी से बाहर निकलकर दगाबाजी करने वाले विधायकों के खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई शुरू करते ही सर्वोच्च न्यायालय ने उसे रोक दिया तथा दल-बदल कार्रवाई किए बगैर बहुमत परीक्षण करें, ऐसा कहा.
उद्धव चाहते तो कर सकते थे खेल – सामना
शिवसेना ने सामना में लिखा है कि, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए एक पल में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. वे भी चाहते तो आंकड़ों का खेल खेल सकते थे. परंतु उन्होंने वह मार्ग नहीं चुना और अपने शालीन स्वभाव के अनुरूप अपनी भूमिका अपनाई.
अटल जी की विरासत अब हो गई खत्म
जब ‘रामशास्त्री’ कहलाने वाले न्याय के तराजू को झुकाने लगते हैं, तब किसके पास अपेक्षा से देखना चाहिए? अटल बिहारी की बात को याद कर सामना में लिखा गया-सरकार सिर्फ एक मत से गिरने के दौरान ही अटल बिहारी विचलित नहीं हुए. ‘तोड़-फोड़ करके हासिल किए गए बहुमत को मैं चिमटे से भी स्पर्श नहीं करूंगा’.
इसके बाद उन्होंने लोकसभा के सभागृह में कहा, ‘मंडी सजी हुई थी, माल भी बिकने को तैयार था लेकिन हमने माल खरीदना पसंद नहीं किया!’ अटल जी की विरासत अब खत्म हो गई है.
पूछे कई तीखे सवाल
सामना में भाजपा और शिवसेना के बागियों से तीखे सवाल किए गए हैं- महाराष्ट्र के विधायकों को पहले सूरत ले गए. वहां से उन्हें असम पहुंचाया. अब वे गोवा आ गए हैं और उनका स्वागत भाजपा वाले मुंबई में कर रहे हैं. देश की सीमा की रक्षा के लिए उपलब्ध हजारों जवान खास विमान से मुंबई हवाई अड्डे पर उतरे. इतना सख्त बंदोबस्त केंद्र सरकार कर रही है, तो किसके लिए?
जिस पार्टी ने जन्म दिया उस पार्टी से, हिंदुत्व से, बालासाहेब ठाकरे से द्रोह करने वाले विधायकों की रक्षा के लिए? हिंदुस्तान जैसे महान देश और इस महान देश का संविधान अब नैतिकता के पतन से ग्रसित हो गया है. ये परिस्थितियां निकट भविष्य में बदलेंगी ऐसे संकेत तो नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि बाजार में सभी रक्षक बिकने के लिए उपलब्ध हैं.
फडणवीस डिप्टी सीएम, गजब है
संपादकीय में फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाए जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं. सत्ता के लिए हमने शिवसेना से दगाबाजी नहीं की, ऐसा कहने वालों ने ही मुख्यमंत्री पद का मुकुट खुद पर चढ़ा लिया. वह भी किसके समर्थन से, तो इस पूरी बगावत से हमारा कोई संबंध नहीं है, ऐसा भाव जो सरलता से दिखा रहे थे उनकी शह पर. मतलब शिवसेना से संबंधित नाराजगी वगैरह यह सब बहाना था.
हमें हैरानी होती है तो देवेंद्र फडणवीस को लेकर. उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में वापस आना था परंतु बन गए उपमुख्यमंत्री. दूसरी बात ये है कि यही ढाई-ढाई वर्ष मुख्यमंत्री बांटने का फॉर्मूला चुनाव से पहले दोनों ने तय किया था, तो फिर उस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर युति क्यों तोड़ी?
महाराष्ट्र की इज्जत लूटने वालों पर सुदर्शन
कौरवों ने द्रौपदी को भरी सभा में खड़ा करके बेइज्जत किया व धर्मराज सहित सभी निर्जीव बने ये तमाशा देखते रहे. ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र में हुआ. परंतु आखिरकार भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए. उन्होंने द्रौपदी की इज्जत और प्रतिष्ठा की रक्षा की. जनता जनार्दन भी श्रीकृष्ण की तरह अवतार लेगी और महाराष्ट्र की इज्जत लूटने वालों पर सुदर्शन चलाएगी.