Friday, April 19, 2024

11 देशों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक जैसे लक्षण,नई बीमारी से संक्रमित मरीज मिले

कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म भी नहीं हुआ है कि मंकीपॉक्स नाम की एक नई बीमारी का खतरा मंडराने लगा है। दुनिया भर के 11 देशों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक जैसे लक्षणों वाली इस नई बीमारी से संक्रमित मरीज मिले हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने राज्य सरकारों को मंकीपॉक्स की स्थिति पर नजर रखने के लिए कहा है। इसके बाद छत्तीसगढ़ में भी सभी जिलों को सतर्क कर दिया गया है।

छत्तीसगढ़ में महामारी नियंत्रण विभाग के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, अभी अपने देश में मंकीपॉक्स का एक भी केस नहीं मिला है। फिर भी सावधान का स्तर बढ़ा दिया गया है। सभी जिलों को सतर्क कर विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे जा रहे हैं। इसके तहत मंकीपॉक्स के लक्षणों वाले हर संदिग्ध मरीज की शत प्रतिशत रिपोर्ट करने को कहा गया है। जिलों को कहा गया है कि संदिग्ध मरीज मिलने पर उसे आइसोलेट करने को कहा गया है। उसका नमूना लेकर जांच की जानी है। वहीं मरीज के संपर्क में आए सभी लोगों को ट्रेस कर उनकी जांच की जानी है। यह बीमारी संपर्क में आने से फैल रही है, इसकी वजह से ऐसा करना जरूरी है। हवाई अड्‌डों पर भी निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, इस बीमारी की जांच प्रदेश में मौजूद वायरोलॉजी लैब में की जा सकती है। ICMR और NCDC ने संदिग्ध मरीजों के नमूने पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी भेजने को भी कहा है।
चेचक से कम खतरनाक, कोई खास दवा भी नहीं
डॉ. सुभाष मिश्रा बताते हैं, अभी तक यही देखा गया है कि यह संक्रमण स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स जैसे मिलते-जुलते लक्षणों वाली बीमारियों से कम खतरनाक है। इसकी फिलहाल कोई खास दवा नहीं है। बुखार की दवा दी जाती है। शरीर में पानी का स्तर बनाए रखने की कोशिश होती है। वहीं अन्य संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबॉयोटिक की खुराक दी जाती है। तीन-चार दिनों में बीमारी ठीक हो जाती है।
इस बीमारी की वजह भी एक वायरस ही है
डॉक्टरों का कहना है, मंकीपॉक्स एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्स विरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है। 1970 में कांगो के एक नौ साल के बच्चे में सबसे पहले यह वायरस मिला था। तब से पश्चिम अफ्रीका के कई देशों में इसे पाया जा चुका है। इसके लिए कई जानवरों की प्रजातियों को जिम्मेदार माना गया है। इन जानवरों में गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, डर्मिस, बंदर आदि शामिल हैं।
यह लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को बताएं
मंकीपॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है। कभी-कभी यह 5 से 21 दिनों तक हो सकती है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण आते हैं। शुरुआत में यह चेचक यानी स्मॉलपॉक्स जैसा ही दिखता है। एक से तीन दिन के भीतर त्वचा पर दाने उभरने लगते हैं, वह फटते भी हैं। ये दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।
अभी तक इन देशों में मिल चुका मंकीपॉक्स
देश – मंकीपॉक्स के संक्रमित मरीज

ऑस्ट्रेलिया – 02

बेल्जियम – 03

कनाड़ा – 02

जर्मनी – 01

फ्रांस – 01

इटली – 01

पुर्तगाल – 23

स्पेन – 23

स्वीडन – 01

यूनाइटेड किंगडम – 29

अमेरिका – 01

मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्तियों के शरीर पर इस तरह के फफोले इसकी प्रमुख पहचान में शामिल है।

कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म भी नहीं हुआ है कि मंकीपॉक्स नाम की एक नई बीमारी का खतरा मंडराने लगा है। दुनिया भर के 11 देशों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक जैसे लक्षणों वाली इस नई बीमारी से संक्रमित मरीज मिले हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने राज्य सरकारों को मंकीपॉक्स की स्थिति पर नजर रखने के लिए कहा है। इसके बाद छत्तीसगढ़ में भी सभी जिलों को सतर्क कर दिया गया है।

छत्तीसगढ़ में महामारी नियंत्रण विभाग के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, अभी अपने देश में मंकीपॉक्स का एक भी केस नहीं मिला है। फिर भी सावधान का स्तर बढ़ा दिया गया है। सभी जिलों को सतर्क कर विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे जा रहे हैं। इसके तहत मंकीपॉक्स के लक्षणों वाले हर संदिग्ध मरीज की शत प्रतिशत रिपोर्ट करने को कहा गया है। जिलों को कहा गया है कि संदिग्ध मरीज मिलने पर उसे आइसोलेट करने को कहा गया है। उसका नमूना लेकर जांच की जानी है। वहीं मरीज के संपर्क में आए सभी लोगों को ट्रेस कर उनकी जांच की जानी है। यह बीमारी संपर्क में आने से फैल रही है, इसकी वजह से ऐसा करना जरूरी है। हवाई अड्‌डों पर भी निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, इस बीमारी की जांच प्रदेश में मौजूद वायरोलॉजी लैब में की जा सकती है। ICMR और NCDC ने संदिग्ध मरीजों के नमूने पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी भेजने को भी कहा है।
चेचक से कम खतरनाक, कोई खास दवा भी नहीं
डॉ. सुभाष मिश्रा बताते हैं, अभी तक यही देखा गया है कि यह संक्रमण स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स जैसे मिलते-जुलते लक्षणों वाली बीमारियों से कम खतरनाक है। इसकी फिलहाल कोई खास दवा नहीं है। बुखार की दवा दी जाती है। शरीर में पानी का स्तर बनाए रखने की कोशिश होती है। वहीं अन्य संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबॉयोटिक की खुराक दी जाती है। तीन-चार दिनों में बीमारी ठीक हो जाती है।
इस बीमारी की वजह भी एक वायरस ही है
डॉक्टरों का कहना है, मंकीपॉक्स एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्स विरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है। 1970 में कांगो के एक नौ साल के बच्चे में सबसे पहले यह वायरस मिला था। तब से पश्चिम अफ्रीका के कई देशों में इसे पाया जा चुका है। इसके लिए कई जानवरों की प्रजातियों को जिम्मेदार माना गया है। इन जानवरों में गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, डर्मिस, बंदर आदि शामिल हैं।
यह लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को बताएं
मंकीपॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है। कभी-कभी यह 5 से 21 दिनों तक हो सकती है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण आते हैं। शुरुआत में यह चेचक यानी स्मॉलपॉक्स जैसा ही दिखता है। एक से तीन दिन के भीतर त्वचा पर दाने उभरने लगते हैं, वह फटते भी हैं। ये दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।
अभी तक इन देशों में मिल चुका मंकीपॉक्स
देश – मंकीपॉक्स के संक्रमित मरीज

ऑस्ट्रेलिया – 02

बेल्जियम – 03

कनाड़ा – 02

जर्मनी – 01

फ्रांस – 01

इटली – 01

पुर्तगाल – 23

स्पेन – 23

स्वीडन – 01

यूनाइटेड किंगडम – 29

अमेरिका – 01

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