भागवत कथा में “हलुआ मिला न मांड़े – दोऊ दीन से गए पांड़े”

फिलहाल तो मोहन भागवत अपनी ही भागवत कथा में फँस गये लगते हैं। मुम्बई में संत रविदास की जयन्ती पर दिये अपने भाषण में उन्होंने दलितों को लुभाने के लिए जो जाल बिछाया था, वह उलटा पड़ गया लगता है। स्वाभाविक भी है, असत्य के साथ अनवरत प्रयोग करने का यही नतीजा निकलता है, क्योंकि … Read more