प्रमुख शिक्षा सचिव के बयान पर शिक्षक संघो ने दी स्पष्ट प्रतिक्रिया , जानिए किसने कैसी दी प्रतिक्रिया

प्रमुख शिक्षा सचिव ने कहा,जहां बच्चे फेल, वहां के शिक्षकों के सीआर में अयोग्य लिखें, संघ के तमाम पदाधिकारियों ने दी अपनी प्रतिक्रिया

रायपुर

आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग

स्‍कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला के बयान से विवाद हो गया है। उन्होंने कहा था कि जिन शिक्षकों के 80 प्रतिशत बच्चे फेल हाेते हैं उन्हें अयोग्य माना जाए और प्रमोशन नही दिया जाए। सर्विस बुक में भी इसका उल्लेख करें। अफसर के इस वक्तव्य पर विवाद बढ़ गया है। शिक्षक संघ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों को अयोग्य कहना खेदजनक है। शिक्षकों के जिम्मे कई प्रकार के काम। पहले इसे बंद करें। दरअसल, पिछले दिनों शिक्षा की गुणवत्ता काे लेकर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें शिक्षा विभाग के आला अफसर के साथ शिक्षक भी शामिल !

यहां डॉ. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने शिक्षा की गुणवत्ता पर चर्चा करते हुए शिक्षकों को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि सालभर का स्कूल कैलेंडर बनाकर दिया गया है। कैसे कोर्स को पूरा करना है, इसमें विस्तार से बताया गया है। उसका पालन किया जा रहा है, यह देखिए। तिमाही-छमाही परीक्षा का आयोजन किया जाना है। इससे पता चलेगा कि कितने पास हो रहे और कितने फेल। बच्चे फेल तो टीचर फेल। आपने बहुत पढ़ाया और बच्चों ने सीखा नहीं तो इसका फायदा क्या।
अधिकारियों से कहा कि एक दस्तावेज बनाकर मुझे दें? जिस टीचर के 80 प्रतिशत बच्चे फेल उसे क्या सजा मिलेगी ?, जिस टीचर के 60 प्रतिशत बच्चे फेल उसे क्या सजा, जिसके 40 प्रतिशत फेल होते हैं उसे क्या सजा मिलेगी। जिसके 100 प्रतिशत पास उसे क्या पुरस्कार मिलेगा। क्या किया जाए, आप बताएं। कम से कम यही किया जाए कि जिन शिक्षकों के 80 प्रतिशत बच्चे फेल उसे प्रमोशन के लिए अयोग्य किया जाए। उसकी सर्विस बुक में लिखा जाए कि इन्हें आने वाले दस साल तक कोई पुरस्कार कोई प्रमोशन नहीं दिया जाए। अफसरों से कहा कि एक डॉक्यूमेंट बनाकर मुझे दें। शिक्षकों ने क्या कार्य किया? शिक्षकों का आंकलन कैसे होगा? किन शिक्षकों को संतोषजनक माना जाए। किसको बहुत अच्छा माना जाए। इसी बात ने तूल पकड़ लिया है।

छत्तीसगढ़ के शिक्षक संघो की प्रतिक्रिया :-
प्रयोगशाला बन गई है स्कूल शिक्षा, इससे स्तर गिरा : संघ
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख द्वारा अपने शिक्षकों को निकम्मा कहना बहुत ही खेदजनक है। शिक्षक संघ इस वक्तव्य की निंदा करता है। बच्चों को पढ़ाने के अलावा शिक्षकों से 80 प्रकार के काम लेते हैं। बार-बार अलग तरह के प्रयोग किए जाते हैं। इसे प्रयोगशाला बना दिया गया है। इसमें सुधार की जरूरत है। इनकी वजह से छग की शिक्षा काफी पीछे जा चुकी है। शिक्षकों पर दिए गए वक्तव्य को वापस लिया जाना चाहिए। -ओंकार सिंह, प्रातांध्यक्ष, छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ


पुरस्कार पर वाहवाही लूटी, अब सजा की बात कैसे ?
कोरोना काल में जब देश में छग की शिक्षा को पुरस्कार मिला तो इसकी वाहवाही अधिकारियों ने लूटी। अब निम्न स्तरीय शिक्षा पर सजा
की बात कैसे की जा सकती है? शिक्षकों का प्रतिनिधित्व शिक्षक कर्मचारी संघ करते हैं, उनसे सुझाव लेकर शिक्षा का क्रियान्वयन क्यों नहीं किया जाता? पिछले दिनों राज्य स्तरीय वेबिनार में शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्ति करते हुए पूरा दोषारोपण शिक्षकों पर ही कर दिया गया। यह आपत्तिजनक है। -संजय शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, छग टीचर्स एसोसिएशन


माननीय शिक्षा सचिव का बयान शिक्षकों का मनोबल तोड़ने वाला है माननीय शिक्षा सचिव द्वारा जिस तरह का बयान शिक्षकों के विषय में दिया गया है इससे समस्त शिक्षक संवर्ग एवं समस्त शिक्षक एलबी संवर्ग बहुत अधिक आक्रोशित है लगातार इस तरह के बयान आने से शिक्षक समाज में रोष बढ़ गया है एवं उन्हें इस विषय पर समझाना कठिन हो गया है उनका कहना है कि जितना अधिक हो सके हम अपने कार्य को करने का प्रयास करते हैं और करते भी हैं हम अपनी कोशिश लगातार कर सकते हैं लेकिन इस तरह से किसी का आकलन करना अच्छी बात नहीं है हर क्षेत्र में अच्छे एवं बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं लेकिन कुछ लोग अगर गलत हो या गलती कर रहे हो तो इससे पूरे शिक्षा जगत पर प्रश्नचिह्न उठाना सही नहीं है इस विषय पर माननीय शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला को अपना विचार स्पष्ट करना चाहिए एवं उनके द्वारा शिक्षा जगत एवं शिक्षकों के लिए सार्थक पहल होनी चाहिए क्योंकि कहते हैं ताली दोनों हाथों से बजती है एक हाथ से नहीं अगर कोई भी गलत तरीके का बयान बिना किसी मनसा के अगर दे दिया गया हो किसी को व्यक्ति विशेष शिक्षक को संबोधित करते हुए तो इसे स्पष्ट करना चाहिए क्योंकि इससे सारे शिक्षक एवं एलबी शिक्षक संवर्ग में संशय एवं आक्रोश का वातावरण निर्मित हो गया है भूपेंद्र सिंह बनाफर प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सर्व शिक्षक कल्याण संघ


विद्यालय को विद्यालय ही रहने दीजिए सर जी
शिक्षक उस विद्यालय का सरताज है ,जो मासूम को निष्पक्ष तरीके के संसार के योग्य नागरिक के साथ ज़िम्मेदार बना राष्ट्र सहित मानव संसाधन के विकास में भूमिका अदा करता है
आपके एनजीओ , सविदा, व शिक्षा से दूर रहने वाले चापलूस अधिकारी ए सी कमरा पर बैठकर जिला प्रदेश ब्लॉक में विद्यालय को प्रयोगशाला बनाकर बच्चों पर प्रयोग करना घातक सिद्ध कर दिया
और दोष सिर्फ शिक्षक पर , पूरे शिक्षक समाज को निकम्मा कह देना अपमान , आपके बयान का गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छ ग कड़ी निंदा करती हैं
संगठन के प्रांताध्यक्ष कृष्णकुमार नवरंग ने प्रमुख सचिव शिक्षा आलोक सुक्ला के बयान शिक्षक को निकम्मा कहने की निंदा कर शिक्षक समाज से माफ़ी मांगने की मांग करती हैं ।श्री नवरंग ने प्रमुख सचिव के बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि राज्य के 56 हजार तीन सौ तीन शालाये में 56.77लाख विद्यार्थियों को एक लाख 77 हजार शिक्षक दुर्गम ,जगहों पर नदी नाले पार कर जीवन को विपरीत परिस्थितियों में भी रहकर अध्ययन कराते है ।। ये वही शिक्षक हैं जो कोरोना काल मे मृत्यु के समीप रखकर अध्ययन करने में सहभागी बनकर ,सेवकों के रुप में ड्यूटी किया ।
शिक्षक शिक्षा के साथ साथ राज्य सरकार के 56 विभागों के काम योजना को गॉव तक पहुचाने ,क्रियान्वयन कराती हैं जिस दिन यह काम बंद कर देगी सरकार की योजना ठप पड़ जायेगा ।
शिक्षा पर सरकार का बजट सत्र ,2020, 2021 में 1407505.32लाख रुपये के प्रावधान में शिक्षकों के लिए आज भी प्रमोशन ,नियुक्ति ,क्रमोन्नत ,समयमान वेतनमान के साथ महँगाई भत्ता से वंचित हैं और बजट का लगभग 60 प्रतिसत हिस्सा आपके इर्द गिर्द घूमने वाले ngo खर्च करती है ,जिनके परामर्श पर आप विद्यालय ,व विद्यार्थियों को प्रयोगशाला बनाकर हर 15 दिन में प्रयोग कर बजट को खर्च करने में लगा देते है ,आपके बजट से कुछ बची राशि को जिला मुख्यालय के अधिकारियों के प्रयोग में खर्च करने प्रयोग किया जाता हैं
ब्लाक ,हायर सेकंडरी हाई स्कूल ,प्राथमिक ,माध्यमिक विद्यालय सिर्फ दबाव पूर्वक आपके प्रयोग को मजबूरी से अमल कराती हैं
शिक्षक को शिक्षा हेतू फ़्री कर दीजिए ,शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की जिम्मेदारी हमारी होगी
शिक्षक आज सुबह 9 बजे से निकल शाम। 5बजे घर वापसी कर आपके 70 से अधिक प्रयोग का क्रियान्वयन करती हैं
जबकि सरकार के शिक्षा विभाग के विद्यालयों को छोड़ 55 दूसरे विभाग में कार्यरत कर्मचारियों अधिकारी को सप्ताह में सिर्फ पांच दिन काम सुबह 10 बजे से 5 के बीच काम कर दो दिवस का अवकास मिलता है साथ ही घर के समय में ऑनलाइन मीटिंग ,में देर रात तक काम जुड़ना होता है
सरकार के शीर्ष पद में बैठ एक जिम्मेदारी के बतौर शिक्षक की गरिमा को बढ़ाने वाली प्रयास के बजाय निकम्मा कह ,शिक्षक की गरिमा को गिराने में लग गए ।वही अन्य विभाग के ब्लॉक ,जिला ,प्रान्त के अधिकारी अपने अधीनस्थ को अवसर देकर सम्मानित पूर्वक बचाने में आतुर रहता है
वही आपके अधीनस्त ब्लॉक जिला व प्रान्त के अधिकारी शिक्षक के शिकायत सुनने कार्यवाहियों को अंजाम देने दरवाजे में खड़ा हो शिकायत का इंतजार करते हैं और बिना अवसर दिए सीधे कार्यवाही करने से हिचकते नही ।फिर भी शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने लगातार कोशिश कर सकते है

गवर्नमेंट एम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ऐसे खुदके दामन में दाग से लिप्त शीर्ष नेतृत्वकरने वाली अधिकारी की संविदा को समाप्त कर विश्राम देने की मांग मा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कर पुनः निकम्मा कहने वाले अधिकारी के बयान की निंदा करती हैं । कृष्णकुमार नवरंग

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