सरहदों की चौंकिदारीं अग्निविरों भरोसे
कॉनफैडरेसन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा सरहदों की चाक-चौबंद चौकसी अग्निविरों के भरोसे पर एतराज़ जताया। कुल भर्ती का 80% अग्निवीर अपनी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे। जब सरकार 4 साल के लिए उस जवान को सेना में भर्ती करेगी तो उसके साल तो इसी पेशोवस में निकल जाएंगे कि उसके बाद मेरे भविष्य का होगा, मुझे कहीं किसी फैक्ट्री में गार्ड की नौकरी मिलेगी क्या।
महासचिव रणबीर सिंह ने आगे कहा कि क्या उन 20 प्रतिशत अग्निविरों को पैंशन लाभ मिलेगा जिनको 4 साल के बाद 15 साल का विस्तार दिया जाएगा। क्या सेना की पुरानी पैंशन को खत्म करने का इरादा तो नहीं। ओर जो 80 % जवान वापस घर भेजे जाएंगे क्या उनके परिवारजनों को सेना की कैंटीन में सस्ता सामान उनके मां बाप को सेना अस्पतालों में फ्री इलाज व सैनिक स्कूलों में बच्चों को दाखिला मिल पाएगा ।
अग्निविरों को महीने में 30 हजार पगार के रूप में रुपए मिलेंगे जिसमें से अग्निवीर कोर्प्स फंड के नाम पर 9 हजार रुपए काट कर मात्र 21 हजार रुपए ही मिलेंगे जबकि कई राज्यों में इतनी पगार डेलीवेजरों/ कामगारों को मिलते हैं।
एक ओर महत्वपूर्ण मुद्दा है कि क्या अग्निवीर सरहदों की चाक-चौबंद चौकसी कर पाएंगे उनको तो डर सता रहा होगा कि 4 सालों के बाद मुझे घर भेज दिया जाएगा। हो सकता है कि वह शहादत देने में भी कतराएं कि मेरे जाने के बाद मेरे परिवार की देखभाल कौन करेगा। जब उसको घर आकर फिर से नौकरी एवं पुनर्वास की विकराल समस्या से रूबरू होगा कहीं हताशा में कहीं ग़लत कदम उठा कर नक्सलियों व उग्रवादी संगठनों से ना जा मिले क्योंकि उसको सेना की सारी गोपनीय गतिविधियों का इन चार सालों में पता चल चुका होगा।
क्या जो 4 सालों के बाद 20% जवान रखें जाएंगे उनका पैमाना क्या होगा, क्या इससे भाई भतीजावाद बढेगा, क्या रिश्वतखोरी को बढावा नहीं मिलेगा।
रणबीर सिंह आगे कहते हैं कि कम से कम सरकार को इस तरह की भर्ती प्रक्रिया भारतीय सेना में नहीं लानी चाहिए। सेना सुप्रीम है। सेना में तकरीबन 2 लाख सिपाहियों की नियुक्तियां होनी है जो कि पिछले दो सालों से नहीं हुई है तो फिर 46 हजार अग्निविरों से 20 हजार किलोमीटर लम्बी सरहदों की सुरक्षा कैसे सम्भव होगी।
रणबीर सिंह
महासचिव