व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।
व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा अब ये अमृतकाल में कैसी उल्टी गंगा बहने लगी। बताइए, पप्पू फिर पास हो गया। पप्पू कर्नाटक में भी पास हो गया। जैसे-तैसे कर के नहीं, रो-पीटकर नहीं, बाकायदा फर्स्ट डिवीजन में पास हो गया। और बेचारा गप्पू, फिर फेल हो गया। वही गप्पू, जिसने लंबी-लंबी गप्पें हांककर और अखबार-टीवी सब … Continue reading व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।
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