नए साल में बुजुर्गों का सम्मान, तिलक लगा दिया श्रीफल
कुछ सचिव, नए बने सरपंचों को भ्रष्टाचार का ककहरा सीखा रहे है : प्रज्ञा निर्वाणी जिला पंचायत सचिव
महासमुंद क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य प्रज्ञा निर्वाणी ने तल्ख लहजे में चेतावनी देते हुए कहा है कि बहुत से गांवों से ग्रामीणों और पंचों की शिकायत आ रही है, कि कुछ पंचायतों में जहाँ नए सरपंच चुन कर आये हैं वहां पंचायत सचिव, सरपंचों को भ्रष्टाचार का ककहरा सीखा रहे हैं. कोविड काल में, भोजन, मास्क और सेनेटाइजर के बदले भारी राशि आहरण कर लिया गया है, अनाप शनाप बिल प्रस्तुत किये गए है, तो यह बात कान खोलकर सुन लें कि –
“यह भूपेश बघेल, रविन्द्र चौबे और ताम्रध्वज साहू की सरकार है.”
पुराने समय के मुगलाते मे न रहें कि क्या हो जाएगा, सब सेट कर लेंगे, अगर गलती पाई गई तो सरकारी पैसे की पूरी वसूली तो होगी ही, साथ मे नौकरी भी हाथ से चले जाएगी, ये पैसा जनता की मेहनत और खून पसीने के टैक्स का पैसा है, इस पैसे से गाड़ी, घोड़ा, बंगला बनाने का सपना मत देखे, जैसे ही साल भर पूरा होगा सभी कार्यों का सोशल आडिट गांव में चौपाल लगा कर किया जाएगा.
उन्होंने समझाइस देते हुए कहा कि पैसा कमाना तो व्यापार करो, लेकिन रजनीति से पैसा कमाने की सोच महंगी पड़ जाएगी. यह जनसेवा का स्थान है. यहां तो जनता को जनार्दन मान कर 24 घंटे उनकी सेवा करने वाले लोगो की जरूरत है. यह समय है कि अच्छी बातों को किताबो से निकाल कर जिंदगी में अमल में लाएं. जो भी नए सरपंच बने है, उन्हें भी कहती हूँ अपने परिवार के आर्थिक जरूरतों को पुरा करने खेती, व्यापार, दुकान की एक वैकल्पिक व्यवस्था रखे और अपने परिवार और बच्चों को मेहनत और ईमानदारी की रोटी खिलाएं. देखना बच्चों में भगत सिंह और ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के संस्कार और प्रतिभा आएगी और सुख चैन की नींद आपको.
हालाकिं सभी पंचायतों में यह स्थिति नही है, कुछ पंचायतों में सरपंच सचिव और पंचायत के सदस्य मिलकर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. वो पंचायत के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि मिशाल हैं. समाज मे उनका आदर है, उन्हें सम्मानित किया जाएगा.
राजनीतिक कार्यों में पारदर्शिता और सेवा के भाव से काम करते रहने से बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वार्ड के पंच से मुख्यमंत्री तक का मुकाम हासिल किया है. अपनी संभावनाओं सकारात्मकता दीजिये. जिला पंचायत सदस्य प्रज्ञा निर्वाणी ने यह भी कहा कि महिला सरपंचों के मामले में उनके पति हद से ज्यादा हस्तक्षेप न करें. महिलाओ को काम करने का अवसर दे तभी उनमें नेतृत्व के गुणों का विकास होगा और पंचायती-राज व्यवस्था में महिलाओ के आगे लाने की जो सोच है उसे बल मिलेगा.