अल्पसंख्यक समाज की क्यों उपेक्षा कर रही है वर्तमान राज्य सरकार
Reported By :- Nahida Qureshi
रायपुर/ राज्य के अल्पसंख्यकों के कल्याण तथा विकास के लिए सरकार के द्वारा स्थापित संस्थानों यथा राज्य वक्फ बोर्ड,राज्य मदरसा बोर्ड,राज्य उर्दुअकादमी,राज्य अल्पसंख्यक आयोग.जिला अल्पसंख्यक कल्याण समिति आदि में पूर्ण रूप से अध्यक्ष व सदस्यों की तत्काल नियुक्ति करने की मांग लगातार उठती रही है लेकिन वर्तमान सरकार ने 3 साल से इन्हें कर रखा है नजरअंदाज । राज्य सरकार नियम व कानून बनाकर मस्जिद ,मदरसे मजार, कब्रिस्तान,ईदगाह और अन्य धार्मिक स्थलों के रखरखाव, तमाम परिसम्पत्तियों के संरक्षण , संवर्धन,सुरक्षा और उनके व्यवस्थित ढंग से संचालन के लिए प्रमुख रूप से राज्य मदरसा बोर्ड, राज्य वक्फ बोर्ड , राज्य हज कमेटी ,उर्दू अकादमी ,राज्य अल्पसंख्यक आयोग जैसे अनेक संस्थानों का संचालन छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा किया जा रहा है। इनके माध्यम से मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों के द्वारा समाज का उत्थान और विकास किया जाता है , इसके लिए जरूरी है इन संस्थानों में मुस्लिम समुदाय के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियां पूर्णता हो किंतु कांग्रेस सरकार के बनने के तीन साल बाद भी आज तक इन संस्थानों के गठन पर रुचि नहीं ली गई । इस तरह राज्य में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की उपेक्षा की जा रही है किन्तु मुस्लिम समाज के कुछ पूर्व से बने आयोग सदस्य भी इसी तरह का रवैया अपनाए हुए है जो पद पर बने तो हुए है लेकिन समाज के हित में उनका योगदान शून्य ही रहा।
पूरे छत्तीसगढ़ से मुस्लिम समाज के प्रमुख 60 से 70 लोग इन संस्थानों में अध्यक्ष व सदस्य के रूप में नियुक्त होकर अपने समाज के विकास व उत्थान के लिए अपनी सहभागिता दर्ज कराते आए हैं,लेकिन वर्तमान सरकार ने अब तक इस विशेष बात पर न ध्यान दिया न पदों पर नियुक्ति की, पिछली सरकार में बने हुए सचिव एम.आर.खान और साजिद मेमन अब तक पद में आसीन है ।
नई सरकार बनने पर नए लोगों को सदस्यों के रूप में लिया जाता है किंतु इन लोगों को दरकिनार कर सरकार क्या संदेश राज्य के मुसलमानों को देना चाहती हैं? विदित हो कि राज्य हज कमेटी, राज्य वक्फ बोर्ड ,राज्य मदरसा बोर्ड आदि प्रत्येक में एक दर्जन से ज्यादा सदस्यों की नियुक्ति राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से की जाती है । इससे इन लोगो को मान सम्मान मिलता है जबकि आज तक इन नियुक्तियों को अधर में रखा गया है,तो वही दूसरी तरफ वन मंत्री मोहम्मद अकबर का भी रवैया अल्पसंख्यक समुदाय की ओर उदासीन ही रहा और कभी सरकार से उन्होंने इस विषय पर चर्चा नही की इस कारण से राज्य में इन संस्थानों की गतिविधियां पूर्णता ठप पड़ी हुई है । राज्य में कई स्थानों पर वक्फ की संपत्तियों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। मदरसों के संचालन के लिए जो आर्थिक सहायता शासन से मिलती है वह भी अस्त व्यस्त तथा लचर हो गई है। उर्दू भाषा के विकास के लिए जो योजनाएं चल रही थी वह भी जमीनी स्तर पर नहीं दिखाई दे रही है, अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए अल्पसंख्यकों को बहुत परेशान होना पड़ रहा है तथा इधर-उधर भटकना पड़ रहा है तो वही शिक्षक पदौन्नति में भी राज्य सरकार ने उर्दू स्नातक को कोई विशेष स्थान नही दिया सभी भाषा स्नातकों को एक श्रेणी में रखना ये प्रदर्शित कर रहा है कि भाषाविद का इस सरकार में कोई महत्व नही ? कारण स्पष्ट है की उपरोक्त संस्थान पूर्ण रूप से गठित न होने के कारण ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं और अल्पसंख्यक समुदाय में कांग्रेस सरकार के प्रति नकारात्मक संदेश जा रहा है जो कि उचित नहीं है यहां तक कि जिले स्तर पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण समिति का गठन भी आज तक नहीं किया गया है,उर्दू बोर्ड का चेयरमैन तक नियुक्त नही किया गया ,जिससे सरकार की उदासीनता मुस्लिम समुदाय की ओर प्रदर्शित कर रहा है ।
पद में बने कुछ अधिकारी भी अपना स्वार्थ सिध्द करने में लगे हुए है , नई सरकार के साथ नए लोगो को पद पर नियुक्त करने से क्यो कतरा रही है भूपेश सरकार ।