शिक्षक पदोन्नति :पदोन्नति के नाम पर इन्तेजार , क्यो कर रही है ऐसा राज्य सरकार

प्रतीकात्मक तस्वीर

लेख – विशेष :- नाहिदा क़ुरैशी

दिसंबर 2021 से बड़े जोर शोर से शिक्षको के पदोन्नति के लिए विभाग द्वारा प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी।लेकिन 1-2 संभाग को छोड़कर किसी ने इस कार्य पर गंभीरता नही दिखाई, पदोन्नति में कई त्रुटियां थी जो जानबूझकर किया जाना दर्शाता है,जिसके परिप्रेक्ष्य में शिक्षकों द्वारा न्यायालय में पदोन्नति के विरोध में याचिका दायर की गई है,विभाग द्वारा वहाँ भी विलंब से एंवम सही जवाब पेश नही किया जाना पदोन्नति के लिए विभागीय उदासीनता को दर्शाता है,कहीं यह शिक्षा विभाग द्वारा पदोन्नति न देने का कोई षड़यंत्र कृत्य तो नही जिस से सारी पदोन्नति निरस्त करने की चाल शामिल हो ।
शिक्षकों की प्रतीक्षा की परीक्षा ली जा रही है,कहीं यह असन्तोष नए शिक्षा सत्र 2022-23 में बड़े आन्दोलन का रूप न ले ले जिससे कि छत्तीसगढ़ में अध्यापन में बाधा आ जाये ,वैसे भी पिछले 2 वर्षों में कोरोना काल मे बच्चों का पढ़ाई का स्तर काफी नीचे आ गया है,और विभागीय उदासीनता के कारण शिक्षकों का असंतोष चरम पर है,कहीं इस वर्ष भी अध्यापन व्यवस्था पूर्व की भांति चरमरा न जाए,
न्यायालय द्वारा हर बार की तरह सुनवाई को बार बार टाले जाने से शिक्षकों को लंबे इन्तेजार से गुजरना पड़ रहा है जिस से न्यायिक प्रक्रिया पर भी सवालिया निशान लगा रहे है शिक्षक ,शिक्षा प्रणाली में इस पदोन्नति में राजनीतिज्ञ,उच्चाधिकारियों की मिली भगत तो शामिल नहीं है ,क्योंकि कोरोना काल का हवाला देकर महँगाई भत्ते को रोका गया ,वार्षिक वेतनवृद्धि को रोका गया , बजट का अभाव बताकर शासकीय कर्मचारियों को पिछले 2-3 वर्षों से छला जा रहा है,यह किसके कहने से हो रहा है , देखना यही होगा कि शिक्षकों के पदोन्नति को लेकर अभी और कितने दिनों का विलंब बाकी रहेगा , या नये सत्र के पहले सभी शिक्षकों को पदोन्नत कार्यक्षेत्र में भेजा जाऐगा या नही ?