Friday, March 29, 2024

पत्रकार सुरक्षा अधिनियम लागू हुए बिना छत्तीसगढ़ में पत्रकारों का हितसंवर्धन अब संभव नही – छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ

पत्रकार सुरक्षा अधिनियम लागू हुए बिना छत्तीसगढ़ में पत्रकारों का हितसंवर्धन अब संभव नही – छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ

छत्तीसगढ़ राज्य में पत्रकार अब सुरक्षित नही…।
बस्तर संभाग हो या अंबिकापुर संभाग , दुर्ग हो या बिलासपुर, रायपुर ….,कोई भी ,कहीं भी शिकार हो सकता है । कभी राजनैतिक ,कभी प्रशासनिक , कभी उद्योगपतियों का तो कभी अपराधिक गुण्डा तत्वों का, माओवादियों का भी…
आज विषम परिस्थितियों के बीच जूझते हुए सरकार और जनता के बीच की कडी़ के रूप में पत्रकारिता करना दुभर हो गया । हाल ही में हुए वाकयों ने पूरे पत्रकार जगत को झंझकोर कर रख दिया है ।


सूरजपुर के पत्रकार चंद्र प्रकाश साहू के द्वारा जिले में धान की अफरातफरी के मामले को उजागर करने वाली अपनी निर्भीक पत्रकारिता की वजह से वे रंजिश का शिकार हुए हैं । प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 फरवरी को भी वह बारिश से भीग रहे धान की रिपोर्टिंग करने के लिए आदिम जाति सेवा सहकारी समिति गए थे ,जहाँ उनकी खबरों से रंजिश रख रहे समिति के प्रबंधक मोहन राजवाड़े ने पत्रकार चंद्रप्रकाश पर गुंडों से हमला करवा कर उन्हें घायल कर दिया …! हमला होने के 24 घंटे बाद तक बचाव का खेल चलता रहा ..! इस बीच मारपीट का वायरल वीडियो पीड़ित पत्रकार के लिए संजीवनी बनकर सामने आया …। प्रदेश के पत्रकार हरकत में आये । पत्रकार पर हमला बर्दाश्त नही होगा .. पत्रकार एकता ज़िंदाबाद.. इस नारे को बुलंद कर … जिले के अलावा सरगुजा संभाग के पत्रकार एकजुट होकर आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर गुरुवार को थाना कोतवाली में लामबंद हुए तो जिले की पुलिस प्रशासन हरकत में आई और आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज कर आनन- फानन गिरफ्तार किया और मुचलके पर छोड़ भी दिया ।

बीजापुर के पत्रकार गणेश मिश्रा और लीलाधर राठी को माओवादियों द्वारा पत्र जारी कर आमसभा कर जान से मारने की धमकी दिया जाना घोर निंदनीय कृत्य था । जिसके विरोध में बस्तर के पत्रकारों सहित राज्य के सभी कलमकार , समाजसेवी लामबद्ध होकर विरोध किया । संगठन का ही प्रतिफल था कि माओवादियों को झुकने पर मजबूर होना पडा़ । एक और पत्र जारी कर उन्होने बातचीत से बीच का रास्ता निकालने की बात कही है ।

जब भी कोई पत्रकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध रिपोर्टिंग करता है तो उसे धमकी चमकी या पहुँच के धौस की खुराख मिलना आम बात है। जैसे ही पत्रकार भ्रष्टाचारियो के घोटाले को जनता और शासन के सामने लाता है तो इन धमकियों में गुंडे शामिल हो जाते है । जो मानसिक प्रताड़ना देकर कलमवीरो पर हमले करते हैं। ऐसी घटनाएं छत्तीसगढ़ के पत्रकारों के लिए नियति बन चुकी है।
सूरजपुर के पत्रकार चंद्र प्रकाश साहू पर ऐसा ही हमला जिला मुख्यालय से नजदीक कृषि उपज मंडी परिसर के आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रबन्धक द्वारा द्वारा करवाया गया। जिसका सूरजपुर के स्थानीय पत्रकार व सरगुजा संभाग के पत्रकारों ने विरोध करते हुए सूरजपुर कोतवाली थाना में आमद दर्ज कर जिला कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दे कर आरोपपियो को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की और जिले में इकट्ठा होकर पत्रकार एकता का परिचय दिया ।

सूरजपुर कोतवाली थाने में एकत्र हुए पत्रकारो ने एक स्वर में पत्रकार चन्द्र प्रकाश साहू पर हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि राज्य सरकार को पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को अविलंब लागू करना चाहिए तभी प्रदेश का पत्रकार सुरक्षित होगा। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला के साथ मारपीट के बाद सुरजपुर में चंद्र प्रकाश साहू के साथ हुई मारपीट भले ही अलग अलग कारणों से हुई हो पर दोनों घटनाओं का उद्देश्य पत्रकारों को प्रताड़ित करना और उनकी कलम को रोकना ही है।

पत्रकार चंद्र प्रकाश साहू ने खुद पर हुए हमले के बारे में बताया कि धान की अफरातफरी के मामले को मैंने प्रमुखता से कवरेज किया है। इसी सिलसिले में 16 फरवरी को हुई बारिश की वजह से धान के भीगने की जानकारी मिलने पर वे कृषि उपज मंडी परिसर के आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के संग्रहण केंद्र में रिपोर्टिंग करने गए थे। इस दौरान वहाँ उपस्थित समिति प्रबंधक मोहन राजवाड़े को मेरी रिपोर्टिंग करना नागवार गुजरा और उसने 15 से 20 गुंडों को बुला कर मेरे साथ मारपीट की है। कैमरा छीन लिया पाकिट से कुछ रुपये निकाल लिए। दो घंटे तक बंधक बना कर रखा। मुझे धान की छल्ली से नीचे फेकने वाले थे। वहाँ उपस्थित पत्रकार साथियों व स्थानीय ग्रामीणों ने बचाया है।

गुरुवार को जिला कलेक्टर के व्यवहार से नाराज होकर ज्ञापन सौपने गया पत्रकार दल जिला कलेक्टर के दर्शन कर .. तुरन्त बाहर निकल आया और अवाक जावक में अपना ज्ञापन सौप कर पीड़ित पत्रकार के न्याय की आगे की लड़ाई जारी रखने के का संकल्प लिया है। इसी कड़ी में जिला पुलिस अधीक्षक से मिल कर आरोपियों पर भा.द. वि. की धारा 147,148, 149 एवं 392 जोड़ने का निवेदन भी किया था।

चन्द्र प्रकाश साहू हो या कमल शुक्ला इनके हमलावरों पर मामूली धाराये लगा कर निजी मुचलके पर छोड़ देने से हौसले किसके बुलंद होंगे …? यह चिंतन सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को करना है। पत्रकार साथियो समय आ गया है जब हमें संगठित होकर काम करना होगा और गलतियों का पुरजोर एक स्वर मे विरोध करना होगा । हमारा हित अब पत्रकार सुरक्षा अधिनियम लागू कराने से ही संभव हो सकता है।

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