Friday, March 29, 2024

देश के कई राज्यों में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों की संख्या को देखते हुए सरकार ने बनाई यह ‘रणनीति’

देश के कई राज्यों में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों की संख्या को देखते हुए सरकार ने बनाई यह ‘रणनीति’

नई दिल्ली: देश में कोरोनावारस तेजी से पैर पसार रहा है. भारत में कोरोनावायरस से अब तक 83 लोगों की मौत हो चुकी है और 3577 इसके संक्रमण के शिकार हुए हैं. देश में  बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस के 505 मरीज सामने आए हैं. वहीं ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 275 है. कोरोनावायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन जारी है जो 14 अप्रैल तक चलेगा. हालांकि कई राज्य ऐसे हैं जहां से कोरोना के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने एक रणनीति बनाई है.

सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना की बेकाबू होती स्थिति को देखते हुए आक्रामक योजना बनाई है. इस योजना के तहत जो सबसे प्रभावित क्षेत्र है उसको पूरी तरह से बफर जोन बनाकर सील किया जाएगा. ऐसे क्षेत्र को लगभग एक महीने तक पूरी तरह से बंद रखा जाएगा. ऐसे इलाकों से कोरोना के ज्यादा फैलने के खतरे बढ़ गए हैं इसे देखते हुए ही सरकार यह रणनीति अपनाएगी.

बता दें कि देश के 274 जिलों में अब तक कोविड-19 के मामले सामने आए है. 22 मार्च से कोरोना संक्रमित मामले में तीन गुना की वृद्धि हुई है, जिसके बाद सरकार ने यह प्लान बनाया है. 20 पन्नों के दस्तावेज़ में कहा गया है कि इस ‘रणनीति’ को केवल तभी लागू नहीं किया जाएगा जब अंतिम पुष्टि परीक्षण के बाद कम से कम चार सप्ताह तक कोविड-19 के किसी भी नए मामले की रिपोर्ट न की जाए.

स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी दस्तावेज में बताया गया है कि सभी संदिग्ध और कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर आइसोलेशन में रखा जाएगा. मरीजों को तभी डिस्चार्ज किया जाएगा, जब उनका सैंपल निगेटिव पाया जाएगा.  जिन लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण दिखाई देंगे उन्हें कोरैंटाइन में रखा जाएगा. जिस मरीज में कोरोना के थोड़े ज्यादा लक्षण होंगे उन्हें अस्पातल में रखा जाएगा और जिनमें गंभीर लक्षण पाए जाएंगे उन्हें एडवांस हॉस्पिटल में एडमिट किया जाएगा.

सरकार के प्लान में यह भी बताया गया है कि जिस जिस इलाके को बफर जोन बनाया जाएगा, वहां के सभी स्कूल, कॉलेज और ऑफिस को बंद रखा जाएगा. इन इलाकों में कोई सार्वजनिक और निजी परिवहन की इजाजत नहीं होगी. केवल आवश्यक सेवाओं की अनुमति दी जाएगी. 

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