
Bilaspur News पोहा मिलों में जिस तरह उत्पादन तेजी के साथ घट रहा है इससे किसान भी प्रभावित होंगे।
बिलासपुर Bilaspur news । कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते पोहा उपभोक्ता राज्यों ने छत्तीसगढ़ से पोहा की खरीदी बंद कर दी है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि उत्पादन में 60 फीसद तक कटौती का फैसला लेना पड़ा है। प्रति माह पोहा का 90 करोड़ रुपये का व्यवसाय था। व्यवसायियों के अनुसार छत्तीसगढ़ के पोहा का प्रमुख खरीदार महाराष्ट्र,कर्नाटक,आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश रहे हैं। इन राज्यों से डिमांड अब नहीं आ रही है।
छत्तीसगढ़ में 220 पोहा मिल हैं। जहां प्रतिदिन एक हजार टन पोहा का उत्पादन होता है। आम दिनों में 80 फीसद सप्लाई दूसरे राज्यों को होती थी। वर्तमान में एक हजार टन की जगह 400 टन ही पोहा की आपूर्ति हो रही है। बाहरी राज्यों के अलावा घरेलू मांग भी तेजी के साथ घट रही है।
आने वाले दिनों में उत्पादन में और गिरावट की बात कही जा रही है। संक्रमण के मामले में शीर्ष पर चल रहे महाराष्ट्र के अलावा मध्यप्रदेश और कर्नाटक से भी डिमांड आनी बंद हो गई है। छत्तीसगढ़ में जिस तरह से कोरोना का संक्रमण तेजी के साथ बढ़ रहा है इसका असर भी इस व्यवसाय पर देखा जा रहा है। पोहा के लिए मोटा धान की जरूरत पड़ती है।
एक दिन में पोहा मिलों को तकरीबन 15-20 हजार क्विंटल धान की जरूरत पड़ती है। पोहा मिलों में जिस तरह ताला बंदी की स्थिति बनती जा रही है इससे यहां काम करने वाले श्रमिकों के सामने भी रोजी रोटी की समस्या उठ खड़ी होगी। आमतौर पर एक मिल में 30 से 35 श्रमिकों की जरूरत पड़ती है। ये श्रमिक एक शिफ्ट में काम करते हैं। इतने ही श्रमिक दूसरे शिफ्ट में काम पर आते हैं। जाहिर है इनके सामने एक बार फिर बेकारी का संकट खड़ा होगा।
अन्नदाता किसान भी होंगे प्रभावित
समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसान एक निश्चित मात्रा में धान बेचने के बाद शेष धान को कृषि उपज मंडियों में लाकर बेचते हैं। खासकर मोटा धान उत्पादन करने वाले किसान । पोहा की मांग ज्यादा उठने पर किसानों का धान भी ऊंची कीमत पर बिकता है। पोहा मिलों में जिस तरह उत्पादन तेजी के साथ घट रहा है इससे किसान भी प्रभावित होंगे।
महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,कर्नाटक और आंध्रप्रदेश ही ऐसे उपभोक्ता राज्य हैं जो छत्तीसगढ़ से पोहा की खरीदी हमेशा से करते आ रहे हैं। इन प्रदेशों में कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन हो गया है। लिहाजा ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। इसलिए उत्पादन घटाने का निर्णय लिया गया है। – कमलेश कुकरेजा-संरक्षक पोहा मिल एसोसिएशन छत्तीसगढ़