छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में राजनांदगांव नगर निगम में जमीन अधिग्रहण के मामले में 4 करोड़ 3 लाख 40 हजार रुपए 12 फीसदी ब्याज के साथ मुआवजा देने के आदेश पर रोक लगा दी है। दरअसल, जमीन मालिकों ने तथ्यों को छिपाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जबकि नगर निगम ने उनकी जमीन का अधिग्रहण ही नहीं किया था और उन्होंने मुआवजे की मांग को लेकर याचिका दायर कर दी थी। जिस पर सिंगल बेंच ने नगर निगम के पक्ष सुने बिना ही मुआवजा राशि देने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने राजनांदगांव नगर निगम को रश्मि गौरी भोजानी एवं अन्य को जमीन अधिग्रहण की बकाया राशि 4 करोड़ 3 लाख 40 हजार रुपए 12 फीसदी ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया था। सिंगल बेंच के इस आदेश को चुनौती देते हुए नगर निगम ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से डिवीजन बेंच में अपील प्रस्तुत की। इसमें बताया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा भ्रामक एवं झूठी जानकारी देते हुए भूमि अधिग्रहण की बात कही गई थी। जबकि निगम ने याचिकाकर्ताओं की भूमि का अधिग्रहण ही नहीं किया है। वर्ष 2014 में हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर जमीन अधिग्रहण का मामला बताकर मुआवजे की मांग की गई थी। नगर निगम ने याचिकाकर्ताओं को पहले ही सूचित कर दिया था कि उनकी भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जा रहा है।
नोटिस जारी किए बिना ही फैसला सुनाया
अपील में यह भी बताया गया है कि 2020-21 में राजनांदगांव के सांसद के पत्र के आधार पर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चालू की गई थी। जिस पर याचिकाकर्ता रश्मि भोजानी ने अपने वकील अनूप मजुमदार के माध्यम से उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच में कहा कि हमारे जमीन का अधिग्रहण कर लें और मुआवजा प्रदान करें। लेकिन, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से सिंगल बेंच को बताया गया कि भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है और मुआवजे की राशि 4 करोड़ 3 लाख 40 हजार रुपए नहीं दी गई है। अपील में कहा गया है कि सिंगल बैंच ने नगर निगम को नोटिस जारी किए बिना ही याचिकाकर्ताओं के तथ्य को सत्य मानते हुए एकपक्षीय आदेश जारी कर मुआवजा राशि देने का आदेश दिया।
निगम के वकील ने डिवीजन बेंच को बताया कि याचिकाकर्ताओं की भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है तो मुआवजा राशि देने का आदेश कैसे दिया जा सकता है। आदेश जारी करने से पहले नगर निगम को भी सुनवाई का मौका दिया जाना था। नगर निगम के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच की ओर से मुआवजा राशि देने के आदेश पर रोक लगा दिया है।
राज्य शासन ने भी कहा-जमीन का नहीं हुआ है अधिग्रहण
नगर निगम के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन के अधिवक्ता से भी जवाब मांगा। कोर्ट ने पूछा कि शासन बताए की जमीन का अधिग्रहण किया गया है या नहीं। इस पर राज्य शासन की तरफ से बताया गया कि भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 19 फरवरी 2021 में मुआवजा देने के आदेश पर स्थगन आदेश दिया है।
पहले कृषि भूमि का कराया मद परिवर्तन, अब मुआवजे का जुगाड़
नगर निगम के अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 1990 में पहले नगर निगम में अपनी कृषि भूमि का मद परिवर्तन कराने के लिए आवेदनपत्र जमा किया था। जिस पर नगर निगम ने उन्हें सशर्त अनुमति दी थी। शर्त यह थी कि उन्हें सड़क के लिए 60 फीट जमीन छोड़ना होगा। इसके लिए उन्होंने सहमति भी दी थी। अब मकान बनाने के बाद सड़क की जमीन के लिए याचिकाकर्ता कोर्ट को गुमराह कर मुआवजा राशि मांग रहे हैं।