Thursday, April 18, 2024

अडानी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करें राज्य सरकार : किसान सभा

Chhattisgarh Digest News Desk ; Edited by : Nahida Qureshi, Farhan Yunus.

अडानी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करें राज्य सरकार : किसान सभा

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने सरगुजा-कोरबा के केते बासन व परसा ईस्ट कोल क्षेत्र के घाटबर्रा व अन्य गांवों में अडानी इंटरप्राइजेज द्वारा नोटरी के शपथ पत्र के जरिये किसानों की जमीन हड़पने और अधिग्रहण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अडानी प्रबंधन के लोगों के साथ ग्राम खिरती में तहसीलदार व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के पहुंचने की तीखी निंदा की है और इन दोनों मामलों में राज्य सरकार से एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने आरोप लगाया है कि इस क्षेत्र की ग्राम सभाओं के विरोध के बावजूद और हसदेव अरण्य की कोयला खदानों की नीलामी पर रोक की घोषणा के बावजूद ये दोनों उजागर मामले बताते है कि छत्तीसगढ़ में आज कांग्रेस सरकार भी पहले की भाजपा सरकार की तरह ही अडानी की सेवा में लगी हुई है और पर्दे की आड़ में हसदेव स्थित कोयला खदानों को मुनाफा कमाने के लिए अडानी को देने का खेल खेला जा रहा है। साफ है कि हसदेव अरण्य के कोल ब्लॉकों को नीलामी से बाहर रखने की राज्य सरकार द्वारा केंद्र से की गई अपील मात्र ‘दिखावा’ है।

उल्लेखनीय है कि कोयला खनन के लिए अडानी का रास्ता साफ करने के लिए ग्राम घाटबर्रा को वर्ष 2013 में दिए गए सामुदायिक अधिकार पट्टे को तत्कालीन भाजपा सरकार ने पहले ही 2016 में निरस्त कर दिया था। सामुदायिक वनाधिकारों को निरस्त करने का देश में यह पहला अनोखा मामला है और अब कांग्रेस राज में किसानों के व्यक्तिगत वनाधिकार पत्रक को नोटरी के शपथ पत्र के जरिये अडानी प्रबंधन द्वारा खरीदने की जालसाजी सामने आई है। शपथ पत्र की कंडिका 4 में कहा गया है कि कंपनी ने परियोजना के नियमों के अधीन पुनर्वास दायित्व को पूर्ण कर दिया है, इसलिए कंपनी द्वारा कुछ भी राशि दिया जाना शेष नहीं है। पराते ने कहा कि अवैध सौदे की यह कंडिका आदिवासियों और किसानों को सरासर गुमराह करने वाली है। इसी शपथ पत्र से जानकारी मिलती है कि सरकार द्वारा भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।

किसान सभा ने मांग की है कि हसदेव अरण्य के मामले में राज्य सरकार अपना रुख स्पष्ट करें और यदि वह वाकई इस क्षेत्र के पर्यावरण, जैव विविधता और आदिवासी अधिकारों का संरक्षण करने के प्रति ईमानदार है, तो उसकी नीति और मंशा के विरूद्ध काम करने वाले अडानी और प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्यवाही करें।

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