Chhattisgarh Digest News Desk ; Edited by : Nahida Qureshi, Farhan Yunus.
कोरोना महामारी के कारण इस्लाम के पांचवे स्तंभ यानी हज यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या कम ज़रूर हुई है लेकिन यह कभी रुकी नही, ना ही मक्का शरीफ में खाना ए काबा का तवाफ़ भी कभी नही रुका।
हाल के एक अध्ययन के परिणामों से पता चला है कि हर साल होने वाले हज का मुक़द्दस को पूरे इस्लामिक इतिहास में कभी बाधित या निलंबित नहीं किया गया। यह अध्ययन दो पवित्र मस्जिदों के कस्टोडियन द्वारा हज और उमराह रिसर्च के लिए उम्म अल-कुर में आयोजित किया गया है।
आपको बता दें कि कोरोना महामारी के बीच सऊदी सरकार ने फैसला अनुसार इस बार सिर्फ 1 हजार विदेशियों को ही हज अदा करने की मंजूरी दी है। यह मंजूरी भी उन्हीं विदेशियों को मिली है जो फिलहाल सऊदी अरब में रह रहे हैं।
बता दें इस बार हज-2020 इस्लामिक कैलेंडर 10 जिलहिज्जा को मुकम्मल हो रहा है जो कि भारतीय दिनांक के अनुसार 1 अगस्त 2020 को बकरीद के दिन मुक्कमल हो रही है.
हज यात्रा पर हर साल हज के लिए करीब 25 लाख लोग सऊदी अरब पहुँचते है। इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए नियमों में बदलाव कर दिया गया। जिसके तहत 65 साल से कम उम्र के लोग ही हज यात्रा कर सकेंगे और उन्हें कोई भी गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए।
सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्री तौफीक अल रबीह ने कहा कि इस बार हज के लिए केवल उन लोगों को ही अनुमति मिलेगी। जिनकी उम्र 65 साल से कम होगी और उन्हें किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होगी। चयनित होने वाले लोगों का मक्का पहुंचते ही कोरोना वायरस का टेस्ट होगा। हज करने के बाद उन लोगों को अपने घर पर जाकर क्वारंटीन पीरियड भी पूरा करना होगा।