छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सबसे पहले जून महीने में डेंगू के मरीज मिले थे। उसके बाद हालात को काबू पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग व निगम का अमला जमीनी काम करके स्थिति को नियंत्रित कर लिया है। जिले में तीन साल पहले डेंगू डेंजर हो गया था। 54 लोगों की मौत और 6681 डेंगू पॉजिटिव मरीज पाए गए थे। जिसमें सबसे ज्यादा खुर्सीपार क्षेत्र के लोग प्रभावित हुए थे। तीन साल से अब तक बड़ी राहत है। अभी तक स्थिति कंट्रोल में है।
मच्छर के लार्वा को खत्म करने के लिए छिड़काव किया गया।
जिले में साल 2018 में 31 अगस्त से डेंगू डेंजर हो गया था। सितंबर महीना तक जिले में 54 लोगों की मौतों का आंकड़ा पहुंच गया था। दरअसल जुलाई और अगस्त महीना मानसून का होता है। जगह-जगह पानी छोटे-छोटे गड्ढो में जमा हो जाता है। वहीं लोग गर्मी से निजात पाने के लिए कूलर चलाते हैं। जिससे नतीजा होता है कि डेंगू का लार्वा पनपने का मौका मिल जाता है।
अभियान चलाकर लोगों को किया जागरुक
जिला स्वास्थ्य विभाग व निगम प्रशासन ने इस बार व्यापक अभियान चलाकर शुरुआत में ही डेंगू के लार्वा को खत्म कर दिया। जिला मलेरिया अधिकारी सीबीएस बंजारे ने बताया कि पिछले साल डेंगू नियंत्रण पर किए गया काम के नतीजा है कि इस बार केवल 15 मामले सामने आए है। और सभी स्वास्थ्य है। इस साल जून महीने में सेक्टर- 4 क्षेत्र में डेंगू के दो मरीज मिला थे। वैसे ही भिलाई निगम ने तेजी टेमीफास और फागिंग करवाई। इसके साथ कूलर खाली कराने के लिए अभियान चलाया गया। समय रहते हालात पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदम से स्थिति कंट्रोल में है।
कूलर के पानी में दवाई का छिड़काव हुआ।
कुछ इस तरह से किए गए प्रयास
भिलाई में इस साल 1 लाख 5 हजार 819 घरों में निगम का अमला पहुंचा। 56 हजार 390 कूलर और पानी टंकी के पानी को खाली कराया गया। साथ ही 32 हजार 799 घरों में पंपलेट वितरण भी किया गया। जिससे डेंगू के पनपने के कारणों और इससे बचाव के प्रयासों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई थी। करीब 88 हजार 968 टेमीफास का वितरण किया गया। 1 लाख 19 हजार 324 घरों में फागिंग कराई गई। इसके अतिरिक्त लापरवाही बरतने वाले लोगों के खिलाफ जुर्माना वसूल किया गया है।
प्रशासनिक तौर पर जहां डेंगू के संदिग्ध मिले वहां अधिकारी पहुंचे।
नगर निगम भिलाई के स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेद्र मिश्रा ने बताया कि अगस्त तक भिलाई में केवल 5 ही डेंगू के केस सामने आए। जिसमें से तीन सेक्टर क्षेत्र के और दो पटरी पार क्षेत्र के शामिल है। लगातार स्वास्थ्य विभाग ने संवेदनशील इलाके में विशेष टीम लगाई थी जो सक्रिय रुप से काम किया। इसका असर हुआ और नियमित रुप से टेमीफास का वितरण किया गया।