Saturday, July 27, 2024

अविस्मरणीय’, पीएम मोदी को मिला लोकमान्य तिलक अवार्ड, बोले- 140 करोड़ देशवासियों को समर्पित

‘अविस्मरणीय’, पीएम मोदी को मिला लोकमान्य तिलक अवार्ड, बोले- 140 करोड़ देशवासियों को समर्पित
पालघर : सलीम कुरैशी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार (1 अगस्त) को पुणे में लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पीएम मोदी ने इसे अविस्मरणीय क्षण बताया. उन्होंने कहा, मैं लोकमान्य तिलक अवार्ड को 140 करोड़ देशवासियों को समर्पित करता हूं. इसके साथ ही पीएम मोदी ने पुरस्कार के साथ मिलने वाली राशि को नमामि गंगे परियोजना में दान देने की घोषणा की.

पीएम मोदी ने कहा, आज का ये दिन मेरे लिए बहुत अहम है, मैं यहां आकर जितना उत्साहित हूं, उतना ही भावुक हूं. अभी कुछ देर पहले मैंने मंदिर में गणपति जी का आशीर्वाद भी लिया. लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना सम्मान की बात है. ये छत्रपति शिवाजी की धरती है.

पुरस्कार राशि की दान

पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान ही पुरस्कार राशि दान करने की घोषणा की और कहा, जिनके नाम में गंगाधर हो, उनके नाम पर दी गई राशि को भी गंगा जी को समर्पित कर दिया गया है. मैंने पुरस्कार राशि नमामि गंगे परियोजना के लिए दान देने का निर्णय लिया है.

पीएम मोदी ने कहा, पुरस्कार के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है. मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि उनकी सेवा में, उनकी आशाओं और अपेक्षाओं की पूर्ति में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ूंगा.

तिलक की भूमिका कुछ शब्दों में नहीं समेटी जा सकती- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे कहा, भारत की आज़ादी में लोकमान्य तिलक की भूमिका को, उनके योगदान को कुछ घटनाओं और शब्दों में नहीं समेटा जा सकता है. अंग्रेजों ने धारणा बनाई थी कि भारत की आस्था, संस्कृति, मान्यताएं, ये सब पिछड़ेपन का प्रतीक हैं, लेकिन तिलक जी ने इसे भी गलत साबित किया. लोकमान्य तिलक ने टीम स्पिरिट के, सहभाग और सहयोग के अनुकरणीय उदाहरण भी पेश किए.

जब अंग्रेज कहते थे कि भारत के लोग देश चलाने के योग्य नहीं है. तब बाल गंगाधर तिलक ने नारा दिया था कि स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है. लोकमान्य तिलक ने देश की आजादी आंदोलन की दिशा बदली. वीर सावरकर की क्षमता को बाल गंगाधर तिलक ने पहचाना. बाल गंगाधर तिलक का गुजरात से भी बहुत भावपूर्ण नाता रहा है.

बाल गंगाधर तिलक जब अहमदाबाद और साबरमती जेल में थे. उस जेल से बाहर आने के बाद उन्हें सुनने के लिए अहमदाबाद में 40000 से भी ज्यादा लोग एकत्रित हुए थे, जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल भी मौजूद थे.

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