Tuesday, April 16, 2024

ऑस्‍ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने किया बरमूडा ट्रायंगल के रहस्‍य को सुलझाने का दावा

बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle) हमेशा से दुनिया के लिए एक मिस्‍ट्री बना हुआ है। यह समुद्र में 
700,000 वर्ग किलोमीटर के एरिया को कवर करता है। कहा जाता है कि इसके पास से गुजरने वाले विमान, जहाज और अन्‍य ऑब्‍जेक्‍ट गायब हो जाते हैं। कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें बरमूडा ट्रायंगल के एरिया में विमान और जहाज गायब हो गए और आजतक उनका कोई पता नहीं लग पाया है। अब एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उन्‍होंने बरमूडा ट्रायंगल के रहस्य को सुलझा लिया है। वैज्ञानिक का कहना है कि जिस सुपरनैचुरल पावर की बात बरमूडा ट्रायंगल को लेकर कही जाती है, वह सच नहीं है। 

कार्ल क्रुज़ेलनिकी ने थ्‍योरी दी है कि इसके पीछे कोई मिस्‍ट्री नहीं है। उनका कहना है कि बरमूडा ट्रायंगल

से जो विमान और जहाज बिना किसी निशान के गायब हो जाते हैं, उसका एलियंस या अटलांटिस के खोए हुए शहर से कोई लेना-देना नहीं है।

कार्ल क्रुज़ेलनिकी ऑस्ट्रेलियाई साइंटिस्‍ट हैं। मिरर यूके के मुताबिक, उनका मानना ​​है कि बरमूडा ट्रायंगल से भारी संख्‍या में विमानों, जहाजों के गायब होने की वजह इंसानी गलती, खराब मौसम के सिवाए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि यह इलाका भूमध्य रेखा के करीब है और दुनिया के सबसे अमीर देश अमेरिका के नजदीक है। इस एरिया में बहुत ज्‍यादा ट्रैफ‍िक है। लॉयड्स ऑफ लंदन और US कोस्टगार्ड के अनुसार बरमूडा ट्रायंगल में गायब होने वाले ऑब्‍जेक्‍ट्स की संख्‍या, प्रतिशत के हिसाब से दुनिया के 

दुनिया के बाकी इलाकों में गायब होने वाले ऑब्‍जेक्‍ट्स के बराबर है। 

सिडनी यूनिवर्सिटी के फेलो क्रुज़ेलनिकी का कहना है कि जिस फ्लाइट के गायब होने के बाद बरमूडा ट्रायंगल के बारे में अटकलें शुरू हुईं, उसके गायब होने के बारे में कुछ सिंपल बातें हो सकती हैं। वह 5 अमेरिकी नौसेना TBM एवेंजर टारपीडो बॉम्‍बर्स की एक उड़ान थी। 5 दिसंबर 1945 को यह उड़ान फ्लोरिडा के फोर्ट लॉडरडेल से अटलांटिक के ऊपर दो घंटे के ट्रेनिंग मिशन पर निकली थी। अपने बेस के साथ रेडियो कॉन्‍टैक्‍ट गंवाने के बाद सभी पांच विमान गायब हो गए थे। उनका या उनके 14 क्रू मेंबर्स का कोई पता नहीं चला। इन विमानों की खोज के लिए एक और प्‍लेन को भेजा गया था, लेकिन वह भी वापस नहीं लौटा। 

बरमूडा ट्रायंगल को लेकर अटकलें तब बढ़ गईं, जब 1964 में लेखक विंसेंट गद्दीस ने ‘द डेडली बरमूडा ट्रायंगल’ नाम से एक लेख में अपनी थ्‍योरी बताई। हालांकि क्रुज़ेलनिकी इससे अलग सोचते हैं। 

वह इसके पीछे उन 15 मीटर लहरों को वजह बताते हैं, जिनका असर बहुत ज्‍यादा होता है। क्रुज़ेलनिकी ने कहा कि उस उड़ान में सही मायने में अनुभवी पायलट सिर्फ लेफ्टिनेंट चार्ल्स टेलर थे। उनकी भूल की वजह से यह हादसा हुआ हो सकता है। रेडियो ट्रांसक्रिप्‍ट से भी यह पता चलता है कि पायलट को उसकी पोजिशन के बारे में पता नहीं था। साइंटिस्‍ट के अनुसार, लेफ्टिनेंट टेलर ने सोचा था कि उनके कंपास में खराबी थी और वह फ्लोरिडा कीज के ऊपर थे, लेकिन ग्राउंड स्टाफ के विश्लेषण से पता चला कि वह बहामास में एक द्वीप के पास साउथ-ईस्‍ट में थे।

क्रुज़ेलनिकी ने कहा कि लेफ्टिनेंट टेलर ने अपने जूनियर पायलट की बात नहीं मानी और पूर्व की ओर फ्लाई करने पर जोर दिया। वह अनजाने में अटलांटिक में उस गहरे पानी के इलाके में गए, जहां डूबे हुए विमानों या दूसरे ऑब्‍जेक्‍ट्स को ढूंढना मुश्किल हो जाता है। 

Related Articles

Stay Connected

22,042FansLike
3,909FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles