Reported by :- दिनेशचंद्र कुमार
रायपुर / राजधानी रायपुर के डब्ल्यू आर एस कालोनी में हर वषों की तरह इस वर्ष भी श्री श्री शोलापुरी माता पूजा उत्सव मनाया जा रहा है रायपुर में विगत 50 वर्षो से यह परम्परा माता पूजा उतसव के रूप में जाती हैं माता पूजा की शुरुआत सन 1972 मे हुई ज्ञात हो की बीते दो साल कोरोना काल की वजह से माता पूजा करने से श्रद्धालु वंचित रहे चूंकि अब माता के आशीर्वाद से कोरोना वायरस खत्म होने से माता पूजा उत्सव श्रद्धालुओं द्वारा मनाया जा रहा है माता के आगमन पर सभी वर्गों. श्रद्धालुओं मे उतसाह का महौल हैं माता अपने मायकेे नौ दिनों के लिए माता के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती हैं माता के नौ दिनों में माता के अलग अलग नौ रूप के दर्शन होते है माता पूजा इस वर्ष स्वर्ण जयंती उतसव वर्ष मनाया जा रहा है मानयताओं के अनुसार जिस तरह हम अपनी बहन बेटी को वर्ष में एक बार ससुराल से मायके लाते हैं उसी तरह नगरवासी भी पंरपराओं की तरह के आगमन पर श्रद्धालुओं द्वारा हल्दी युक्त पानी में नीम के पततियो को मिलाकर माता जी के चरणों में अर्पित कर ढोल बाजे व विभिन्न स्वागं वेशभूषा से शोभायात्रा का स्वागत कर मंदिर परिसर(ससुराल) से मायके लाते हैं प्रतिदिन नौ दिनों तक माता की पूजा अर्चना कर भोग श्रृंगार से श्री शोलापुरी माता महाआरती आवभगत कर सेवा सत्कार किया जाता है नौ दिनों तक माता को फल फूल अर्पित कर विशाल ढोल बाजे. डपली के साथ पूजा की जाती हैं।
पुरे नौ दिनों तक तीन बाल पुजारी द्वारा विधिवत कलश में कुमकुम. मोंगरे के फूलों से माता की दिन रात माता पंडाल में विशेष श्रृंगार कर सेवा सतकार किया जाता हैं माता के दर्शन पाने के लिए दुर दुर से भक्त श्रद्धालु पहुचकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं तथा माता पंडाल में श्रद्धालु व बच्चों के लिए मनोरंजन की व्यवस्था की जाती हैं माता के दसवें दिन माता जी को 51 भोग प्रसादी लगाया जाता हैं तथा विशाल भोग भंडारा किया जाता हैं श्रद्धालुगण माता का प्रसाद ग्रहण कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ततपश्चात विशेष पूजा अर्चना कर विशाल शोभायात्रा निकाली जाती हैं व पंरपराओं की तरह विधिवत माता जी को उनके ससुराल छोड़ आते है तधा अगले वर्ष के इंतजार में माता का आशीर्वाद पाने के भक्त. श्रद्धालुगण ललाईत रहते है।