
हाइकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने से किया इनकार
अधिवक्ताओं के लिए सहायता धन राशि जारी करने का मामला`
हाइकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने से किया इनकार
बेंगलूरु.
कर्नाटक हाइ कोर्ट ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान अदालतें बंद होने से प्रभावित अधिवक्ताओं की सहायता के लिए वह केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने में असमर्थ है। कर्नाटक हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक और जस्टिस नागरत्ना की खंडपीठ ने कहा कि कोष का उपयोग करना कार्यपालिका का नीतिगत मामला है।
अदालत ने सुझाव दिया कि लॉकडाउन के दौरान बंद से जरूरमंद अधिवक्ताओं की मदद के लिए कर्नाटक राज्य बार परिषद (केएसबीसी) के वरिष्ठ सदस्य ही दान देकर एक कोष बनाएं। याचिका कर्नाटक राज्य बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन एचसी शिवरामू, अधिवक्ता बीजी अनंतराजू और बीसी चलवुराजू की ओर से दायर की गई थी। मामले का निपटारा करते हुए खंडपीठ ने कहा कि यह सच है कि कोविड-19 लॉकडाउन के कारण अदालतें बंद होने से कई अधिवक्ता प्रभावित हुए हैं। लेकिन, यह भी मान्य तथ्य है कि राज्य और केंद्र की सरकारें गंभीर नगदी संकट से जूझ रही हैं। सरकारों के सामने चुनौती समाज के उन वंचितों तक सहायता पहुंचाने की है जिनकी संख्या काफी बड़ी है और जिन्हें कोविड-19 के कारण दो वक्त की रोटी नहीं मिल पा रही है।
आखिरकार यह केंद्र और राज्य सरकारों का नीतिगत मामला है कि वे अपने सीमित संसाधनों के उपयोग की प्राथमिकता तय करें। इसलिए हाइ कोर्ट उन्हें निर्देश जारी करने में असमर्थ है।अधिवक्ताओं की से दायर याचिका में कहा गया था कि भले ही अधिवक्ताओं की गिनती समाज के कुलीन वर्ग में होती है लेकिन, कई ऐसे भी हैं जो दैनिक आय पर निर्भर हैं। अदालतें बंद होने से वे इससे वंचित है। याचिका में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) अधिवक्ता कल्याण कोष और केएसबीसी अधिवक्ता कल्याण कोष से प्रत्येक जरूरतमंद को 50 हजार रुपए देेने की मांग की गई थी।
दलील में उल्लेख किया गया था कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली बार काउंसिल के लिए 50 करोड़ रुपए की राशि जारी की है ताकि जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता पहुंचाई जा सके। इसी तरह कर्नाटक बार काउंसिल कल्याण कोष में भी केंद्र और राज्य सरकारें 50-50 करोड़ की धनराशि जारी करे। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया जाए।