अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सप्ताह में 60 घंटे कार्य करें : नारायण मूर्ति
आंकड़ों का विश्लेषण कर लॉकडाउन पर करें निर्णय
सैनिकों को सुविधा देने के लिए इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने कही ये बात, देखें वीडियो
बेंगलूरु.
देश की अग्रणी आइटी कंपनियों में से एक इंफोसिस लिमिटेड के संस्थापक एन.नारायण मूर्ति ने कहा कि भारत लंबे समय तक लॉकडाउन की स्थिति झेलने में सक्षम नहीं है। अगर लॉकडाउन 3 मई के बाद भी जारी रहता है तो कोरोना से कम और भूख से ज्यादा मौतें होंगी। उन्होंने सलाह दी कि सरकार इसे लेकर एक व्यवहारिक नजरिया अपनाए और कुछ ठोस निर्णय करे।
आइटी दिग्गज ने कहा कि जो भी निर्णण हो वह आंकड़ों पर आधारित हो, लोगों की राय पर भरोसा नहीं करना चाहिए। भावनाओं में बहने की बजाय देश में कोविड-19 के असर व विशिष्टता का आकलन होना चाहिए और इसके लिए अधिक से अधिक आंकड़े और शोध विश्लेषण की जरूरत है। आगे की रणनीति आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर तय हो। कोरोनावायरस एक डेटा-आधारित विषय बनना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाए या आबादी के स्वास्थ्य से समझौता किए बिना सार्थक निष्कर्ष निकाले जा सकें।
कॉर्पोरेट्स और व्यवसायों को भी पूर्ण रूप से सुसज्जित होना चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए ताकि सरकारों से कार्य अनुमति मिल सके। सामाजिक दूरी को बढ़ावा देेने के लिए काम थोड़ा कम और शिफ्ट अधिक बढ़ाने की जरूरत है। कोरोनावायरस अगले 12-14 महीने तक रोजमर्रा की जिंदगी से दूर होने वाला नहीं है। देश की जांच क्षमता पर उन्होंने कहा कि अगर हर रोज 1 लाख लोगों की भी कोरोना जांच हो तो भी हर किसी की जांच पूरी होने में 37 वर्ष लग जाएंगे। निकट भविष्य में इसके टीके की उपलब्धता भी सुनिश्चित नहीं है। अगर टीके का विकास भी होता है तो यह निश्चित नहीं है कि भारतीय जीन पर वह कितना प्रभावी होगा।
उन्होंने कहा कि भारतीयों को अधिक मेहनत और कार्य के अतिरिक्त घंटे भी बढ़ाने होंगे। देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सप्ताह में प्रति दिन 10 घंटे के हिसाब से सप्ताह में 6 दिन कार्य करने की जरूरत है। सप्ताह में 40 घंटे के बजाय 60 घंटे कार्य आवश्यक होगा। यह सिलसिला कम से कम दो से तीन साल तक चले। घर से काम करने की संस्कृति पर मूर्ति ने कहा कि उत्पादकता मानकों को परिभाषित करना होगा। जब तक उत्पादकता के मानकों का पालन नहीं किया जाता है, घर से काम करना भारतीयों के मामले में प्रभावकारी नहीं होगा। पदनाम के साथ उत्पादकता मानक तय होने के बाद कोई कहीं से भी काम कर सकता है।