दिहाड़ी मजदूर भूखे मरने की कगार पर पहुंचे,राशन खत्म, घर में पैसे नहीं

नोएडा: लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार गरीब मजदूरों पर पड़ीकोरोना वायरस का प्रकोप पूरे देश में देखने को मिल रहा है. अगर इस वायरस की सबसे ज्यादा किसी पर मार पड़ी है तो वह हैं गरीब मजदूर. ये वो लोग हैं, जो रोजाना कमाते और खाते हैं. इसी से उनका गुजारा होता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण कई लोग जहां थे, वहीं फंसे रह गए. प्रशासन गरीबों की मदद करने और खाना देने के दावे कर रहा है. लेकिन यमुना एक्सप्रेस-वे पर स्थित जेपी स्पोर्ट्स सिटी में मजदूरों की बस्तियों में हालात क्या हैं, आजतक ने इसी का जायजा लिया.
शानदार जेपी स्पोर्ट्स सिटी की चर्चा देश-विदेश में होती है. भारत का एकमात्र फॉर्म्युला वन रेस ट्रैक इसी के हेडक्वॉर्टर्स में है. लेकिन इस वर्ल्ड क्लास स्पोर्ट्स सिटी की जिन्होंने कभी नींव रखी थी, वे आज भूखे मरने की कगार पर हैं.
स्पोर्ट्स सिटी के भीतर ही नौरंगपुर बस्ती में रहने वाली छत्तीसगढ़ से आई मजदूर भीख मांग रही है. मदद की भीख, अनाज की भीख. वह अपने एक छोटे से बच्चे के साथ छत्तीसगढ़ से आई थी. लेकिन अब उसका रो-रोकर बुरा हाल है. लॉकडाउन के चलते वह यहीं फंस गई है. उसे अचानक ये दीवारें जेल की तरह लग रही हैं.
यही हाल मनियारी का भी है. उसके चार बच्चे हैं. दो दिन से घर में राशन खत्म है, एक चवन्नी नहीं है. सीताबाई खुद खाली पेट है पर उसके बच्चे को मां का दूध मिल रहा है. लेकिन कब तक? ये सोच कर सीताबाई सहम जाती है. नौरंगपुर की इस छोटी सी बस्ती में लगभग पचास दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर परिवार रहते हैं.
इनकी झुग्गी के पीछे चमकती आलीशान बिल्डिंग बीटल लैप में ये काम करते थे. हर रोज 300 रुपये की दिहाड़ी मिलती थी. लेकिन जब से काम बंद हुआ, कहीं सुनवाई नहीं हो रही है. कांट्रेक्टर का फोन बंद है. आनन-फानन में जब 112 नंबर पर फोन लगाया तो पुलिस कुछ राहत लेकर आई. लेकिन आगे क्या होगा इनको पता नहीं.
दूसरी ओर नोएडा प्रशासन ने अट्टा गुजरान लेबर कैंप को शेल्टर सेंटर बना दिया है. प्रशासन ने 20 ऐसे सेंटर चिन्हित किए हैं, जिनको मजदूरों को ठहराने के लिए तैयार किया जा रहा है. जेपी स्पोर्ट सिटी के इस लेबर कैंप में स्थानीय प्रशासन ने इंस्पेक्शन किया है. इस 900 कमरों के सेंटर में लगभग 2500 लोग रह सकते हैं. इन्हें स्वास्थ्य सुविधा के अलावा बाकी सुविधा देने की तैयारी की जा रही है.