रेल विभाग द्वारा कई ऐसे मामले जो नियम विरूद्ध कार्य करते पाये जाने पर मामले को दबा दिया जाता रहा है, ऐसे ही एक और मामले को दबाने की पुरजोर प्रयास किया जा रहा है । रेल विभाग में रेल नियमो के तहत हर रेल कर्मचारियों पर माननीय न्यायालय में चल रहे अपराधी प्रकरण की जानकारी देना अनिवार्य है, साथ ही अपराधी प्रकरण में न्यायालय द्वारा दोषी करार दिये (दंडित किये) जाने पर एवं रेल विभाग से छिपाऐ जाने पर रेल विभाग रेल सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियम -1968 के तहत कार्यवाही करती है ।
रेल विभाग द्वारा पूर्व में एक रेल कर्मचारी पर इसलिए कार्यवाही की है क्योंकि उक्त रेल कर्मचारी ने अपराधिक प्रकरण की जानकारी नही देने एवं छिपाऐ जाने पर विभागीय कार्यवाही की है, पर एक और अन्य रेल कर्मचारी पर यही रेल विभाग कार्यवाही करने से पीछे हटती नजर आ रही हैं ।

अपराधिक प्रकरण की जानकारी नही देने एवं छिपाऐ जाने पर विभागीय कार्यवाही में रेल विभाग एक मामले में कार्यवाही करती नजर आ रही है, तो वहीं दूसरे मामले में रेल विभाग का कहना है कि रेल नियम लागू नही होती । क्या रेल विभाग की इस तरह की कार्य प्रणाली से रेल्वे के अन्य कर्मचारियों पर रेल नियम को ताक पर रखने का गलत संदेश नही जा रहा ?
यह है मामला :-
वैगन रिपेयर शॉप रायपुर छतीसगढ के रेल कर्मचारी गणेश चंद्र कुमार टिकट नंबर 9107 के खिलाफ माननीय न्यायालय रायपुर में कई संगीन अपराधिक प्रकरण चल रहे हैं, उक्त रेल कर्मचारी द्वारा रेल विभाग से अपराधिक प्रकरण की मामले को छिपाते आ रहा है, जबकि रेल विभाग को जानकारी मिलने पर भी कार्यवाही ना करना किस ओर इशारा कर रहा है ? क्या रेल नियम इस कर्मचारी पर लागू नही होती ?
रेल विभाग का कहना यह है कि गणेश चंद्र कुमार के विरुद्ध न्यायालय में चल रहा प्रकरण व्यक्तिगत हैं एवं व्यक्तिगत प्रकरण पर रेल प्रशासन का हक्ष्तछेप नही रहता है, पर सवाल यह है की ऱेल विभाग अनुसार यह कहॉ जाता है कि – गणेश चंद्र कुमार का अपराधिक प्रकरण मामला व्यक्तिगत है इस कारण रेल विभाग किसी प्रकार से कार्यवाही नही कर सकती, तो फिर रेल विभाग किस रेल नियमों के तहत पूर्व में एक रेल कर्मचारी पर अपराधिक प्रकरण की जानकारी नही देने एवं छिपाऐ जाने पर कार्यवाही कैसे किस नियमों के तहत कि गई ?
जनसूचना के आधार पर रेल विभाग पर ऐसे सवाल खड़े हो रहे है, जो कि रेलवे विभाग की दोहरी कार्य प्रणाली दर्शा रहा है :
रेल विभाग ने इसे व्यक्तिगत प्रकरण क्यों नही माना ? रेल विभाग इस मामले में हक्ष्तछेप किस नियमों के तहत की है ? क्या रेल विभाग में हर रेल कर्मचारियों के लिए अलग-अलग नियम बने है ? अपराधिक प्रकरण में रेल विभाग एक पर विभागीय कार्यवाही करती हैं और उसी मामले में रेल विभाग कार्यवाही करने से पीछे कैसे हट सकती है ?
रेल विभाग द्वारा दोहरी रेल नियम लागू कर रेल नियम विरूद्ध कार्य कर संरक्षण दे रही हैं, जबकि रेल कर्मचारी गणेश चंद्र कुमार के विरुद्ध न्यायालय में कई संगीन अपराधिक मामले चल रहे हैं साथ ही एक अपराधिक प्रकरण में माननीय न्यायालय रायपुर द्वारा दिनांक 23/02/2017 को प्रकरण क्रमांक 17306/15 में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अमिता जायसवाल के यहा दोष सिद्ध हुआ, जिसमे गणेश चंद्र कुमार को 1000/-रूपये के अर्थ दण्ड से किया गया हैं, इस अर्थ दण्ड सजा कि जानकारी रेल विभाग से छिपाऐ जाने पर रेल विभाग रेल सेवक अनुशासन नियम के तहत विभागीय कार्यवाही करने से पीछे क्यों हट रही है ? क्या रेल विभाग द्वारा इस दोषी रेल कर्मचारी को संरक्षण दिया जा रहा है ?
अगर ऐसा है तो रेल विभाग रेल नियम विरूद्ध जाकर दोहरी कार्य प्रणाली अपना कर अन्य रेल कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ किया जाना गंभीर विषय है इस पर उच्च रेल अधिकारियों का लगाम लगना जरूरी है ।