( bhasha inpute )
केंद्र सरकार ने सूंघने, स्वाद लेने की शक्ति अचानक खत्म होने जैसे लक्षणों को भी कोरोना वायरस के संभावित लक्षणों की सूची में जोड़ा है. दस्तावेज़ “क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल : COVID-19” में सात अन्य लक्षणों की सूची में “गंध और स्वाद की हानि” को जोड़ा गया है. भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और यह तीन लाख के पार पहुंच चुके हैं. पिछले रविवार कोविड-19 पर हुई राष्ट्रीय कार्य बल की बैठक में इस विषय पर चर्चा की गई थी लेकिन इस पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी थी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना को लेकर क्लीनिकल गाइडलाइन जारी की है जिसके अनुसार स्मेल और टेस्ट लेने की क्षमता का चले जाना कोरोना का लक्षण हो सकता है. गाइडलाइन के अनुसार कोरोना का ज्यादा खतरा 60 साल से अधिक उम्र के लोगों, डायबटीज, हाइपरटेंशन, हृदयरोग, फेफड़े की बीमारी, कैंसर के मरीज, किडनी के मरीजों को है. Remdesivir दवा को लेकर गाइडलाइन में कहा गया है कि इमरजेंसी स्थिति में यह मरीज को दिया जा सकता है. खासतौर पर जो ऑक्सीजन पर हों और मॉडरेट कैटेगरी के मरीज़ हों.
Convalescent plasma के इस्तेमाल पर मंत्रालय की गाइडलाइन कहती है कि जिनको ऑक्सीजन की जरूरत लगातार बढ़ रही हो और स्थिति में सुधार न हो रहा हो, खासकर तब जब steroid असर न कर रहा हो तब उन्हों यह दिया जा सकता है. जिनको लगातार ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही हो, जो वेंटिलेटर पर हों और steroid के बाद भी सुधार न हो रहा हो ऐसे मरीजों को Tocilizumab दिया जा सकता है. मंत्रालय ने कहा है कि HCQ का इस्तेमाल जारी रहेगा.
एक विशेषज्ञ के अनुसार, भले ही यह लक्षण विशिष्ट तौर पर कोविड-19 से जुड़े हुए नहीं हैं क्योंकि फ्लू या इंफ्लुएंजा में भी व्यक्ति की सूंघने या स्वाद ले पाने की क्षमता चली जाती है लेकिन यह बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं और जल्द पता लगाने से जल्दी इलाज में मददगार हो सकते है.
अमेरिका के राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य संस्थान, रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र (सीडीसी) ने मई की शुरुआत में कोविड-19 के नये लक्षणों में “सूंघने या स्वाद ले पाने की शक्ति खो जाने” को शामिल किया था.
कोविड-19 के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की 18 मई को जारी संशोधित जांच रणनीति के मुताबिक, इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के लक्षणों के साथ अन्य राज्यों से लौटने वालों और प्रवासियों की ऐसे लक्षण नजर आने के बाद सात दिन के अंदर-अंदर जांच करनी होगी.
आईसीएमआर ने कहा था कि अस्पताल में भर्ती मरीजों और कोविड-19 की रोकथाम के लिए अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों में आईएलआई जैसे लक्षण विकसित होने पर उनकी भी आरटी-पीसीआर जांच के जरिए कोविड-19 की जांच होगी. साथ ही इसने कहा कि किसी भी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले ऐसे लोग जिनमें लक्षण नजर नहीं आते और उच्च जोखिम वाले लोगों के संपर्क में आने के बाद पांच से 10 दिन के भीतर एक बार जांच करानी ही होगी.